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अध्याय - ४ जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास
अड्डालिजीय गच्छ
जैन परम्परा के श्वेताम्बर सम्प्रदाय में विभिन्न स्थानों के नाम से उद्भूत अल्पजीवी गच्छों में अड्डालिजीय गच्छ भी एक है। अडालज नामक स्थान से सम्बद्ध होने के कारण इस गच्छ का उक्त नामकरण हुआ होगा। अहमदाबाद के निकट 'अडालज' नामक स्थान है जो शायद यही हो सकता है। इस गच्छ से सम्बद्ध साक्ष्यों में मात्र चार अभिलेख ही प्राप्त होते हैं जो बढ़वाण स्थित एक जिनालय में परिकर एवं एक जिनप्रतिमा पर उत्कीर्ण हैं । विजयधर्मसूरिने इनकी वाचना दी है, जो निम्नानुसार है :१. सं० ११३६ फाल्गुन वदि ४ श्रीअड्डालिजीयगच्छे श्रीजीवदेवाचार्यसंताने
कुंभानाजप्रतिबद्धसोढसुताशांतिना स्वस्वश्रेयोर्थं (स्वस्वश्रेयोऽर्थ)
श्रीशांतिनाथप्रतिमा कारापिता । परिकर के नीचे का लेख बड़ा जैन मंदिर, बढवाण, (गुजरात)। २. सं० १२०७ चैत्र वदि ५ स(श)नौ श्रीअड्डालिजीयगच्छे
श्रीदेवाचार्यसंताने श्रे० सांति दुहिता सामी सांपी स्वश्रेयोर्थं
(स्वश्रेयोऽर्थ) श्रीअजितनाथजिनयुगलं कारापितं ।। मंगलं महाश्री ॥ अजितनाथ की युगलप्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख बड़ा जैन मंदिर, बढवाण, (गुजरात)। ३. संवत् १२२८ फाल्गुन वदि ५ भो (भौ) मे श्रीअड्डालिज्जगच्छे
श्रीमोढवंशे श्रे० धांधू भार्या । चडवश्राविकया आत्मश्रेयो) (आत्मश्रेयोऽर्थ) श्रीश्रेयांसप्रतिमा कारिता ।।
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