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उपकेश गच्छ
२०७
कक्कसूरि
शीलसुन्दर
मतिशेखर [वि०सं० १५१४/ई. सन्
१४५६ में धन्नारास के
रचयिता] मतिशेखर द्वारा रचित अन्य रचनायें, यथा-मयणरेहारास, बावनी, नेमिनाथसतफुलडाफागु, कुरगडु (क्रूरघट) महर्षिरास, इलापुत्रचरित्र, नेमिगीत भी उपलब्ध हैं।
आरामशोभाचौपाई मरु-गूर्जर भाषा में रचित यह कृति उपकेशगच्छीय हर्षसमुद्र के शिष्य वाचक विनयसमुद्र द्वारा वि० सं० १५८३ में रची गयी है।११ अद्यावधि इनकी २० रचनायें उपलब्ध हैं जो वि०सं० १५८३ से वि० सं० १६१४ के मध्य रची गयी हैं। आरामशोभाचौपाई की प्रशस्ति में रचनाकार की जो गुरु-परम्परा प्राप्त होती है, वह इस प्रकार है
रत्नप्रभसूरि
सिद्धसूरि
हर्षसमुद्र
विनयसमुद्र [वि०सं० १५८३/ई० सन्
१५२६ आरामशोभाचौपाई
के रचनाकार] मृगावतीचपाईर यह उपकेशगच्छीय वाचक विनयसमुद्र की दूसरी महत्त्वपूर्ण कृति है, जो वि०सं० १६०२/ई. सन् १५४६ में रची गयी हैं। इस
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