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भारतीय दर्शनों का संक्षिप्त परिचय | ३७
उसी प्रकार ह्य म भी बर्कले द्वारा प्रतिपादित मनस् एवं आत्मा के अस्तित्व को भी स्वीकार नहीं करता । ह्यम के अनुसार मनस् लगातार प्रत्यय और संवेदना के योग का फल है । उसके अनुसार ज्ञान संशयपूर्ण होता है ।
लॉक के अनुसार ज्ञान प्रत्ययों तक ही सीमित रहता है। हम उसके अतिरिक्त और कुछ नहीं जानते । इसके साथ ही लॉक बाहरी पदार्थों के अस्तित्व को अस्वीकार करता है। बर्कले ने उसके इस विचार का विरोध किया। उसने कहा कि लॉक के अनुसार प्रत्यय और वस्तु दो हैं और हम प्रत्यय के अतिरिक्त कुछ नहीं जानते । इस प्रकार लॉक के विचारों को आलोचना करते हुए बर्कले ने जड़ पदार्थों एवं वस्तुओं के अस्तित्व को अस्वीकार कर दिया। बर्कले के अनुसार कोई बाह्य पदार्थ नहीं है। भारत में इस प्रकार के विचार शून्यवाद, विज्ञानवाद और अद्वैतवाद में उपलब्ध होते हैं। पाश्चात्य दर्शन में तत्व-मीमांसा तथा ज्ञान-मीमांसा पर विचार किया गया है।
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