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प्रमाण और नय [ ६३
एवंभूत, इन तीनों को एक मानकर नय के मूल भेद पांच होते हैं। इस अपेक्षा से नय के पांच-सौ भेद कहे जाते हैं । द्रव्याथिक नय के तीन भेदसंग्रह, व्यवहार एवं ऋजुसूत्र और चतुर्थ शब्द नय-शब्द, समभिरूढ़ तथा एवंभूत को मिलाकर, नयों के चार-सौ भेद होते हैं । द्रव्यार्थिक और पर्यायार्थिक, मूल नय दो होने से नयों के दो-सौ भेद होते हैं। नयों के ये स्थूल भेद हैं, वैसे तो संख्यात-असंख्यात भेद होते हैं।
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