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वस्तु का लक्षण | ६७ ४. काल द्रव्य के चार पर्याय१. अतीत
२. अनागत ३. वर्तमान
४. अगुरुलघु ५. पुद्गलास्तिकाय के पाँच पर्याय१. वर्ण
२. गन्ध ३. रस
४. स्पर्श ५. अगुरुलघु ६. जीवास्तिकाय के चार पर्याय१. अव्याबाध
२. अनवगाह ३. अमूर्तत्व
४. अगुरुलघु द्रव्य के सामान्य गुण
जो गुण समस्त द्रव्यों में रहते हैं, उन्हें सामान्य गुण कहते हैं । वे छह प्रकार के हैं
१. अस्तित्व, द्रव्य का सदा सत् अर्थात् विद्यमान रहना, अस्तित्व गुण है । इस गुण के होने से द्रव्य में सद्रूपता का व्यवहार होता है।
२. वस्तुत्व, द्रव्य का सामान्य-विशेषात्मक स्वरूप वस्तुत्व गुण है। द्रव्य में अर्थक्रिया का होना, वस्तुत्व गुण है। जैसे घट में जल धारण रूप अर्थक्रिया । अवग्रह ज्ञान में समस्त पदार्थों के सामान्य स्वरूप का आभास होता है, और अवाय में विशेष का भी आभास हो जाता है ।
३. द्रव्यत्व, गुण और पर्यायों का आधार होना, आश्रय होना, द्रव्यत्व गुण है।
४. प्रमेयत्व, प्रत्यक्ष एवं परोक्ष आदि प्रमाणों का विषय होना, प्रमेयत्व गुण है।
५. अगुरुलघुत्व, द्रव्य का गुरु अर्थात् भारी न होना, या लघु अर्थात् हल्का न होना, अगुरुलघत्व गुण है। अगुरुलघुत्वगुण सूक्ष्म है । अतः केवल अनुभव का विषय है।
६. प्रदेशवत्त्व, वस्तु के निरंश अंश को प्रदेश कहते हैं । द्रव्यों का प्रदेश सहित होना, प्रदेशवत्त्व गुण है । इसके कारण द्रव्य का आकार अवश्य होता है।
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