Book Title: Jain Nyayashastra Ek Parishilan
Author(s): Vijaymuni
Publisher: Jain Divakar Prakashan

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Page 163
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १५४ ] जैन न्याय-शास्त्र : एक परिशीलन तीर है । शीतत्व-पावनत्व व्यंग्य अर्थ होता है । नागेश भट्ट भी यहाँ व्यंजना स्वीकार करते हैं। __ अभिधा वृत्ति के सहारे जो शब्द साक्षात् संकेतिक अर्थ का बोध कराता है, वह वाचक शब्द कहा जाता है । संकेतिक अर्थ वह होता है, कि जिसके सुनते ही तुरन्त अर्थबोध हो जाता है । संकेतिक अर्थ चार प्रकार के होते हैं-जाति, गुण, क्रिया और यदृच्छा शब्द । अतः कहा गया है-'चतुष्टयी शब्दानां प्रवृत्तिः ।' जैसे कि गो, शुक्ल, चलन और डित्थइन चार प्रकार के शब्दों का प्रवृत्ति-निमित्त-जाति, गुण, क्रिया और संज्ञा-इन चार उपाधियों से होता है। मम्मट के मतानुसार, जिस शब्द का जिस अर्थ में बिना व्यवधान के संकेत का ग्रहण होता है, वह शब्द उस अर्थ का वाचक होता है । लोक व्यवहार में बिना संकेत ग्रह के शब्द के अर्थ की प्रतीति नहीं हो पाती है । प्रत्येक शब्द संकेत ग्रह की सहायता से ही अपने अर्थ को प्रकट करता है। संकेत ग्रह किसमें हो ? व्यक्ति में, जाति में अथवा उपाधि में ? इस विषय में व्याकरण, मीमांसा, न्याय और बौद्ध का अलग-अलग अपना दृष्टिकोण रहा है। मीमांसक केवल जाति में संकेत ग्रह मानता है। नैयायिक जाति-विशिष्ट व्यक्ति में और बौद्ध अपोह में संकेत ग्रह स्वीकार करता है । परन्तु आचार्य मम्मट वैयाकरण के मत को स्वीकार करके उपाधि में संकेत ग्रह मानते हैं। इस प्रकार मम्मट के मतानुसार केवल व्यक्ति से संकेत ग्रह न होकर व्यक्ति के उपाधिरूप, जाति, गुण, क्रिया एवं यदृच्छा आदि धर्मों में होता है, और तभी शब्दों का चार विभाग भी बनता है। विभिन्न मत इस विषय में, विभिन्न शास्त्रों में, एक मत न होकर, विभिन्न मत हैं। सबका अपना-अपना दृष्टिकोण अलग है। क्योंकि शब्द और अर्थ के सम्बन्ध में, व्याकरण, मीमांसा, न्याय और अलंकार-शास्त्र कभी एक मत नहीं हो सके । यहाँ पर संक्षेप में सबका उल्लेख किया जा रहा है । मीमांसक मत __ मीमांसक केवल जाति में संकेत ग्रह मानते हैं। उनका तर्क है, कि हिम, दुग्ध और शंख आदि में स्थित शुक्ल गुणों के अलग-अलग होते हए भी शुक्लत्व सामान्य एक है । चावल आदि में पाक क्रिया भिन्न-भिन्न होने पर भी पाकत्व सामान्य एक है । बाल, तरुण एवं वद्ध आदि द्वारा उत्तचरित डित्थत्व शब्द का उच्चारण भिन्न-भिन्न होने पर भी डित्थत्व सामान्य एक For Private and Personal Use Only

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