Book Title: Jain Nyayashastra Ek Parishilan
Author(s): Vijaymuni
Publisher: Jain Divakar Prakashan

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Page 173
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १६४ | जैन न्याय-शास्त्र : एक परिशीलन सम्भावित आकारों का विज्ञान है।" उनके अनुसार-अनुमान एक मानसिक क्रिया है, जो यथार्थ नियमों तथा सिद्धान्तों के द्वारा संचालित होता है। अतः तर्क-शास्त्र, विधि-शास्त्र है । तर्क-शास्त्र यथार्थवादी होने के साथसाथ आदर्श भी है। क्योंकि अनुमान में केवल यही जानना यथेष्ट नहीं है कि ज्ञात तथ्य से अज्ञात तथ्य की ओर कैसे जाते हैं, बल्कि यह जानना भी आवश्यक है, कि ज्ञात तथ्य से अज्ञात तथ्य की ओर कैसे जाना चाहिए। दूसरी बात यह है, कि तर्क-शास्त्र को आदर्श अनुमान के माध्यम से सत्यता की प्राप्ति है । व्यावहारिक जीवन की सफलता के लिए शुद्ध और सही अनुमान ही ध्येय होना चाहिए। ज्ञान के भेद तर्क-शास्त्र, तर्क का विशेष ज्ञान है । ज्ञान क्या है ? एक मनुष्य जब एक आम्र-फल को चखता है, तब उसके सम्बन्ध में, यह ज्ञान होता है, कि यह आम्र फल मधुर है । इस ज्ञान में दो मनोभावों की व्यवस्था स्पष्ट है । प्रथम मनोभाव एक आम का है, और द्वितीय मनोभाव उस की मिठास का है। ज्ञान के दो भेद मुख्य हैं-एक प्रत्यक्ष ज्ञान और दूसरा परोक्ष ज्ञान । प्रत्यक्ष ज्ञान वह है, जो वस्तु के सीधे सम्पर्क से मिलता है। प्रत्यक्ष विना किसी माध्यम का ज्ञान है । यह दो प्रकार का होता है-प्रथम इन्द्रियप्रत्यक्ष, और दूसरा अतीन्द्रिय प्रत्यक्ष । इन्द्रिय प्रत्यक्ष में, इन्द्रियों के साथ वस्तु का सोधा सम्पर्क होता है । पाँच बाह्य इन्द्रियाँ हैं । मन आन्तरिक इन्द्रिय है। इसके द्वारा सुख-दुःख, संकल्प-विकल्प, भाव, संवेग तथा विचारविमर्श जैसी अन्तरंग अनुभूतियों का प्रत्यक्ष होता है। परोक्ष ज्ञान उसको कहते हैं, जो किसी दूसरे ज्ञान के माध्यम से प्राप्त होता है। अनुमान परोक्ष ज्ञान है, क्योंकि यह प्रत्यक्ष ज्ञान के माध्यम से प्राप्त होता है। जैसे कि धूम को देखकर अप्रत्यक्ष अग्नि का ज्ञान होता है । इस में धूम का प्रत्यक्ष माध्यम है। अनुमान वह विचारात्मक प्रक्रिया है, जिसमें ज्ञात तथ्य से अज्ञाततथ्य का ज्ञान किया जाता है। किसी मनुष्य को मुस्कराते देखकर अनुमान करते हैं, कि वह प्रसन्न है। मुस्कराना ज्ञात तथ्य है, और उसके प्रसन्न होने की बात अज्ञात तथ्य । आँखों में आँसू देखकर किसी व्यक्ति के विषय में यह अनुमान किया जाता है कि वह दुःखी है, विषाद-ग्रस्त है। आँखों में आँसू ज्ञात तथ्य है, और उसके दुःखी होने की बात अज्ञात तथ्य For Private and Personal Use Only

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