Book Title: Jain Nyayashastra Ek Parishilan
Author(s): Vijaymuni
Publisher: Jain Divakar Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 137
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२८ | जैन न्याय शास्त्र : एक परिशीलन ऋजुसूत्र में बौद्ध का और शब्द में व्याकरण आदि का समावेश सहज हो जाता है। आवश्यकनियुक्ति में आवश्यक नियुक्ति के नय द्वार में सात मूल नयों के नाम तथा लक्षण दिये गये हैं, तथा यह भी बताया गया है, कि प्रत्येक नय के शताधिक भेद-प्रभेद हो सकते हैं। जिन-मत में एक भी सूत्र, अथवा उसका अर्थ ऐसा नहीं है, जिसका नय दृष्टि के बिना विचार हो सकता हो । अतएव नय-विशारद का यह कर्तव्य है कि वह थोता की योग्यता को देखकर नय का कथन करे, उसे समझाये।। व्याख्या शैली आगमों के शब्दों तथा वाक्यों की व्याख्या शैली का प्राचीन नामनिक्ति एवं निक्षेप पद्धति, होता है। यह व्याख्या पद्धति बहुत प्राचीन है। इस पद्धति में, किसी एक पद के सम्भावित अनेक अर्थ करने के बाद उनमें से अप्रस्तुत अर्थों का निषेध करके प्रस्तुत अर्थ का ग्रहण किया जाता है । जैन न्याय पद्धति में, निक्षेप पद्धति का बहुत महत्व रहा है । निक्षेप पद्धति के आधार पर किये जाने वाले शब्दार्थ के निर्णय निश्चय का नाम ही नियूक्ति है। आवश्यक नियुक्ति में कहा गया है, कि एक शब्द के अनेक अर्थ होते हैं, किन्तु कौन-सा अर्थ किस प्रसंग के लिए उपयुक्त होता है, भगवान् महावीर के उपदेश के समय कौन-सा अर्थ किस शब्द से सम्बद्ध रहा है, इन बातों को ध्यान में रखते हुए सम्यक् रूप से अर्थ-निर्णय करना, और उस अर्थ का मूल सूत्र के शब्दों के साथ सम्बन्ध स्थापित करना~यही नियुक्ति का प्रयोजन माना गया है । निक्षेप भी एक प्रकार की व्याख्या शैली मानी जाती है । नियुक्ति और निक्षेप, दोनों का उपयोग एवं प्रयोग, आगम में होता है। प्रमाण, नय और निक्षेप प्रमेयों के परिज्ञान के लिए प्रमाण की परम आवश्यकता है। लेकिन साथ में नय और निक्षेप को भी आवश्यकता है । प्रमाण समस्त वस्तु का ज्ञान करता है, ज्ञान विषयी होता है, वस्तु उसका विषय है। नय से किसी भी वस्तु का एक धर्म ग्रहण होता है। अनन्तधर्मात्मक वस्तु के एक अंश को ग्रहण करने वाला ज्ञान, नय है । निक्षेप वस्तु को व्यवहार योग्य बनाता है। किस शब्द से वक्ता का क्या अभिप्राय, किस अर्थ में वक्ता ने शब्द का प्रयोग किया है ? इसका परिज्ञान बिना निक्षेप के कदापि नहीं हो सकता है । अतः निक्षेप की परम आवश्यकता होती है । For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186