Book Title: Jain Nyayashastra Ek Parishilan
Author(s): Vijaymuni
Publisher: Jain Divakar Prakashan

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Page 159
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १५० | जैन न्याय-शास्त्र : एक परिशीलन उसमें मध्यमा-जन्य शब्द, अर्थ का वाचक होता है, और स्फोटात्मक शब्द का व्यञ्जक होता है। वैखरीनादजन्य ध्वनि सभी लोगों के श्रवण होने से श्रव्य होता है, और भेरी नाद की भाँति निरर्थक होता है। मध्यमा नाद अत्यन्त सूक्ष्म है और कान बन्द कर लेने पर जप आदि में सूक्ष्मतर वायु से व्यंग्य शब्द ब्रह्मरूप स्फोट का व्यञ्जक है। अतः मध्यमा-नाद व्यंग्य शब्द स्फोटात्मक ब्रह्मरूप है, और नित्य है। जिस प्रकार ब्रह्म से संसारी की सृष्टि होती है, उसी प्रकार ब्रह्म से अर्थात् शब्द ब्रह्म से वर्णपद आदि व्याकरण की सृष्टि होती है । जिससे स्पष्ट अर्थ व्यक्त हो, वही स्फोट है । शब्द और अर्थ के सम्बन्ध में, यह वैयाकरणों का अभिमत मम्मट का काव्य-प्रकाश - आचार्य मम्मट का गुरु गम्भीर ग्रन्थ काव्य-प्रकाश है। यह ग्रन्थ अलंकार शास्त्र का अथवा साहित्य शास्त्र का मुकूटमणि ग्रन्थ है । जो इसमें है, वह अन्यत्र भी हो सकता है, लेकिन जो इसमें नहीं है, वह अन्यत्र भी उपलब्ध नहीं हो सकता है । मम्मट परम विद्वान् हैं, व्याकरण, साहित्य, एवं दर्शन शास्त्र में । समझौतावादी नहीं हैं, विपक्ष पर कठोर प्रहार करके अपने पक्ष का समर्थन ही नहीं करते तर्कों से उसे सिद्ध भी करते हैं । अतः न्याय-शास्त्र के भी वे पारंगत पण्डित हैं। काव्य-प्रकाश के अध्ययन से, विशेषतः ग्रन्थ की गुरु-ग्रन्थियों से प्रतीत होता है, कि मम्मट पद, वाक्य और प्रमाण-तीनों में परम निपूण थे। पद, व्याकरण, वाक्य-मीमांसा और प्रमाण, न्याय का गहन अध्ययन था। अतः काव्य-प्रकाश में स्थानस्थान उनका प्रकाण्ड पाण्डित्य स्फुट होता रहता है। आचार्य मम्मटकृत काव्य प्रकाश में, दश उल्लास हैं। १४२ कारिकाएं और ६०३ उदाहरण हैं, जो विभिन्न काव्यों से और नाटकों से संकलित किए गए हैं। उदाहरणों के चुनाव में भी आचार्य की प्रखर प्रतिभा प्रकट होती है। आचार्य ने काव्य-प्रकाश में, काव्य-शास्त्र के विभिन्न विषयों का विवेचन किया है। उनकी पैनी नजर से कोई विषय छूटा नहीं है। १. प्रथम उल्लास में, काव्य के हेतु, लक्षण और त्रिविध भेदों का वर्णन है। २. द्वितीय उल्लास में, तीन प्रकार की शब्द शक्तियों का वर्णन है-अभिधा, लक्षणा और व्यञ्जना। For Private and Personal Use Only

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