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(२३) जीवाजीवाभिगमसूत्र-लघुवृत्ति- यह 'जीवाजीवाभिगम
नामक आगमकी वृत्ति है। (२४) तत्वतरङ्गिणी। (२५) तत्वार्थसूत्र-लघुवृत्ति याने डुपडपिका- यह 'तत्त्वार्थसूत्र'
की अपूर्ण टीका है। (२६) त्रिभंगीसार। (२७) दंसणसुद्धि दर्शनशुद्धि) याने सम्यक्त्वसप्ततिका- इसमें
सम्यक्त्वका अधिकार है। (२८) दंषणसित्तरि (दर्शन सप्तति) याने सावगधम्मपगरण
- इसमे श्रावकधर्मका वर्णन है। (२९) दशकालिकमन-टीका याने शिष्यबोधिनी- यह
'दसवेयालिय' नामक आगमकी बडी वृत्ति है। (३०) दशवकालिकसूत्र-लघुवृत्ति- यह दसवेयालिय' नामक
आगमकी छोटी वृत्ति है। (३१) दिनशुद्धि (?)। (३२) देवेन्द्र-नरकेन्द्रप्रकरण । (३३) द्विजवदनचपेटा- इसमे वैदिकोकी हास्यास्पद बाबतों का
खंडन होगा। इसका दूसरा नाम वेदांकुश है। (३४) धम्मसंगहणि (धर्मसंग्रहणी) (विरहांकित)- इसमे चार्वाक
मतोंका खंडन और पांच प्रकारके ज्ञान, सर्वज्ञताकी सिद्धि, मुक्तिमें सुख इत्यादि बाबतोका निरूपण है।