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चौंतीस स्थान दर्शन
(१५) अशुभ लेश्या-३ १ कृष्ण लेश्या
२ नील , ३ कापोत ,
शुभ लेश्या-३ ४ पीत लेश्या ५ पद्म ।
६ शुक्ल ,
(१६) भव्यत्व २ १ भव्य २ अभव्य
१३ आहारक काय योग १९ अरति नोकषाय १४ आ. मिश्र काय योग २० शोक , १५ कार्माण काय योग २१ भय , (१०) वेद (लिंग) ३ . २२ जुगुप्सा ,,
२३ नपुंसक वेद , १ नपुंसक वेद
२४ स्त्री वेद , २ स्त्री वेद
२५ पुरूप वेद, ३ पुरुष वेद
(१२) ज्ञान ८ (११) कषाय २५
कुज्ञान-३ समानुबंधो-१
१ कुमतिज्ञान १ क्रोध कषाय
२ कुश्रुतज्ञान २ मान ।
३ कुअवधि (विभंग) ज्ञान ३ माया , ४ लोभ ,
४ मतिज्ञान अप्रत्याख्यान-४
५ तज्ञान ५ क्रोध कषाय
६ अवधिज्ञान ६ मान ।
७ मनः पर्ययज्ञान ७ माया ,
८ केवल ज्ञान ८ लोभ । प्रत्याख्यान-४
(१३) संयम ७ ९ क्रोध कषाय
१ असंयम १० मान ,
२ संयमासंयम ११ माया ,
३ सामायिक संयम १२ लोभ ॥
४ छेदोपस्थापना , संज्वलन-४
५ परिहारविशुद्धि ,
६ सूक्ष्मसापराय ॥ १३ क्रोध कपाय
७ यथाख्यात , १४ मान । १५ माया ,
(१४) दर्शन ४ १६ लोभ ।
१ अचक्षु दर्शन नोकषाय-९ २ चक्षु दर्शन १७ हास्य नोकषाय
३ अबधि दर्शन १८ रति ॥
'फेमल दान
(१७) सम्यक्त्व १ मिथ्यात्व (अवस्था) २ सासादन (।) ३ मिथ ( ,) ४ उपशमसम्यक्त्व ५ क्षयोपशम (वेदक) स०
(१८) संज्ञी २
१ संज्ञी
२ असंज्ञी
(१९) आहारक २ १ आहारक २ अनाहारक
(२०) उपयोग
ज्ञानोपयोग-८ १ कुमति ज्ञानोपयांग २ कृश्रुत ३.कुनधि ,