________________
वर्ण्यम्
आचार्य भिक्षु अपने सहयोगी संतों के साथ गांव-गांव में घूमने लगे । उनका एकमात्र लक्ष्य था जन मानस को यथार्थ से परिचय कराना, जैन दर्शन के सही स्वरूप की अवगति देना और लोगों में धर्म के प्रति रुचि पैदा करना । वे चले, चलते रहे और देखा कि लोग अवबोध प्राप्त कर रहे हैं । गांव-गांव में श्रावक बने, मुनि बने, तत्त्वज्ञ श्रावक-श्राविकाओं की संख्या बढी और देखतेदेखते तेरापंथ की जड़ें जम गई । सफलता ने धर्म प्रचार को गति दी और तब आचार्य भिक्षु और अधिक वेग से प्रचार कार्य में जुट
गए ।