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मालवा के शाजापुर जिले की अप्रकाशित
जैन प्रतिमाएँ
0 डा. सुरेन्द्रकुमार प्रार्य, उज्जैन
मालव प्रदेश जैन धर्म के विकास एवं प्रसार का जिले के जैन अवशेषो के सर्वेक्षण की विस्तृत योजना प्रमुख स्थल रहा है। यहाँ मौर्यवशीय शासक सप्रति ने बनाई और हमने इस दिशा में सर्वेक्षण किया। इनमे जैन धर्म व सघ के चतुर्विध विकास में अत्यधिक श्रम जैन तीर्थ मक्मी, जामनेर, पचोर, मुन्दग्मी, पाष्टा, सखेडी, किया और अनेक श्रमणों को गज्याश्रय देकर जैन धर्म मारंगपुर, शाजापुर, शुजालपुर आदि स्थानो पर जाकर जैन के उत्थान मे अपूर्व योगदान दिया। ७वी शताब्दी मे अवशेषो को खोजा। अनेक जैन अवशेष सर्वप्रथम प्रकाश लेकर पद्रहवी शताब्दी तक मालवा में अनेक जैन मदिरो मे पाये। जैन मूर्तिकला का इनमें चरमोत्कर्ष तो है ही, और तीर्थकर-प्रतिमानो का निर्माण हुा । सपूर्ण मालव परन्तु परमार-काल के मूर्तिशिल्प मे इनकी निर्मिति विशेष प्रदेश की तीर्थकर-प्रतिमानो का एक अपूर्व मूर्ति-सग्रहालय आकर्षक एवं शोधात्मक है । यहा पर इन्ही अप्रकाशित मालव-प्रान्तीय जैन-सभा ने उज्जैन के जर्यामहपुरे गे जैन अवशेषो पर विचार किया जा रहा है। स्थापित किया और विगत ४० वर्षों में एकत्रित ५१० मक्सी या श्री मक्सी जी जैन तीर्थ उज्जैन से २० किलोमूर्तियों का जैन संग्रहालय बनाया। यह मालवा की जैन- मीटर उतर-पूर्व दिशा में स्थित है। यहाँ पर विशाल जैन प्रतिमानो के शोध का केन्द्र है और प्रतिवर्ष हजागे ।
मदिर है। ग्राग का स्थापत्य मुगलकालीन है और बुजिया पर्यटको द्वारा देखा जाता है। यहाँ गुना, बदनावर, धार, बनी हुई है। द्वार की मेहगबें मुस्लिम कला का नमूना ईसागत, गोदलमऊ, मक्मी, ग्राष्टा, मोनकच्छ, देवाम, पेश करती है । किवदती है कि मूर्तियो और मदिरो को जवाम, इदार, इदौख, झार्दा की जैन प्रतिमाएं एकत्रित
ध्वस्त करता हुआ, महमूद खिलजी का मेनापति, जब है। इनका केटलाग क्रमाकाकरण, प्राकार, मूति-शिल्पगत इधर से गजरने वाला था. तब यह जैन तीर्थ व मदिर बच विशेषताएँ, लक्षण, वाहन, नीर्थकर-पहचान, निर्माणकाल
जाय, इस विचार में रातो रात मस्जिद के प्रवेश द्वार और पादपीठ पर अभिलेन्व आदि का कार्य मैने उज्जैन के
__ की भाति स्थापत्य को निमित की गई और प्राकान्ता को ही उत्माही पं० सन्यधर कुमार मेठी के माथ मिलकर दूर से ही दिखा दिया गया कि यह मस्जिद है। प्राज मी पिछले ७ वर्षों में पूर्ण किया है। संपूर्ण भारत के जैन
यह प्रवेश द्वार, बुजिया एव गुम्बद स्थित है और अवशेषो के प्राकलन में इस सग्रहालय का अपना विशिष्ट
शिष्ट बाहर से देखने पर मग्जिद का ही भ्रम पैदा करता है। स्थान है।
श्री मक्सी जी जैन तीर्थ के रूप मे विख्यात है। १२वीमालवा का शाजापुर जिला अपनी जैन पुरातात्विक १३वी शताब्दी से ही यह अतिशय क्षेत्र के रूप में प्रसिद्ध संपदा मे अत्यन्त वैभव-संपन्न है। भगवान महावीर के हो चुका था। यहाँ प्रतिवर्ष विशाल मेला लगता है। २५००वे वर्ष के प्रबमर पर प० मन्यधर कुमार सेठी और उज्जैन के सिधिया प्राच्य शोध-संस्थान (यहा २० हजार मसी जैनतीर्थ के मत्री हुकुमचंद जी झाझरी ने शाजापुर हम्नलिखित ग्रंथ सुरक्षित है) से एक जैन हस्तलिखित