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विषय सूची
विषय
१. श्री पुरुदेव स्तुति
२. जैन धर्म मे शक्ति पूजा-डा० सोहनकृष्ण पुरोहित, जोधपुर
३. गोम्मटेश्वर बाहुबली पं० परमानद शास्त्री, दिल्ली
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४. भगवान महावीर की सर्वज्ञता डा. देवेन्द्र कुमार शास्त्री, सोमय
५. प्राचीन जैन तीर्थं श्री राता महावीर जी - श्री भूरचन्द जैन, बाड़मेर
६. अनेकान्त डto शोभनाथ पाठक, मेघनगर ७. मानवीय समुन्नति का प्रशस्त मार्ग विनय पं० विमलकुमार जैन सौरया, महावरा ८. मालवा की नवीन अप्रकाशित जैन प्रतिमानों के अभिलेख - डा० सुरेन्द्रकुमार प्रार्य, उज्जैन ८६ ६. पूजा : मूर्ति की नही, मूर्तिमान की
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उपाध्याय मुनि श्री विद्यानन्द १०. कविवर जगतराम व्यक्तित्व और कृतित्व-श्री गोकुलप्रसाद जैन, नई दिल्ली ६४ 'मनेकान्त' के स्वामित्व सम्बन्धी विवरण प्रकाशन स्थान वीर सेवा मन्दिर, २१ दरियागंज दिल्ली- ६
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पृ०
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अनेकान्त का वार्षिक मूल्य ६ ) रुपया एक किरण का मूल्य १ का २५ पैसा
प्रकाशक
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प्रकाशन भवधि - त्रैमासिक मुद्रक-प्रकाशक वीर सेवा मन्दिर के मिमित श्री सोमप्रकाश जैन
- वीर सेवा मन्दिर के लिए रूपवाणा प्र
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८३ ८५
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राष्ट्रिकता - भारतीय पता- २३, दरियागंज, दिल्ली-६ सम्पादक - श्री गोकुल प्रसाद जैन
राष्ट्रिकता - भारतीय ३, रामनगर, नई दिल्ली- ५५ स्वामित्व वीर सेवा मन्दिर, २१ दरियाद दिल्ली-६
मैं ओमप्रकाश जैन, एतद्द्वारा घोषित करता हूं कि मेरी पूर्ण जानकारी एवं विश्वास के अनुसार उपर्युक्त विवरण सत्य है । श्रोमप्रकाश जैन प्रकाशक
स्थापित १६२६.
वीर सेवा मन्दिर
२१ दरियागज, दिल्ली
वीर सेवा मन्दिर उत्तर भारत का प्रग्रणी जैन संस्कृति, साहित्य, इतिहास, पुरातत्व एव दर्शन शोध संस्थान है जो १६२६ से अनवरत प्रपतं पुनीत उद्देश्यों की सम्पूर्ति में सलग्न रहा है। इसके पावन उद्देश्य इस प्रकार है :--
जैन-जनेतर पुरातत्व सामग्री का सह, सकलन और प्रकाशन ।
प्राचीन जन-जनेतर ग्रन्थों का उद्धार । लोकहितार्थ नव साहित्य का सृजन प्रकटीकरण धोर
प्रचार |
'अनेकान्त' पत्रादि द्वारा जनता के आचार-विचार की ऊँचा उठाने का प्रयत्न
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जैन साहित्य, इतिहास और तत्त्वज्ञानविषयक ध सवानादि कार्यो का प्रसाधन और उनके प्रोत्तेजनार्थं वृत्तियों का विधान तथा पुरस्कारादि का प्रायोजन । विविध उपयोगी सस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, हिन्दी एवं अंग्रेजी प्रकाशनों; जैन साहित्य, इतिहास और तत्त्वज्ञान दिपक शोध अनुसंधान सुविधान एवं निरन्तर प्रवर्धमान पन्थागार; जैन संस्कृति, साहित्य, इतिहास एवं पुरा तत्व के समर्थ अग्रदूत 'श्रनेकान्त' के निरन्तर प्रकाशन एवं अभ्य अनेकानेक विविध साहित्यिक और सांस्कृतिक गति विधियों द्वारा वीर सेवा मन्दिर गत ४६ वर्ष से निरन्तर सेवारत रहा है एवं उत्तरोत्तर विकासमान है ।
यह संस्था अपने विविध क्रिया-कलापों में हर प्रकार प्रापका महत्वपूर्ण सहयोग एवं पूर्ण प्रोत्साहन पाने की अधिकारिणी है। धतः मापसे सानुरोध निवेदन है कि :१. वीर सेवा मन्दिर के सदस्य बनकर धर्म प्रभावनात्मक कार्यक्रमों में सक्रिय योगदान करें।
२. बीर सेवा सन्दिर के प्रकाशनों को स्वयं अपने उपयोग के लिए तथा विविध मागलिक अवसरों पर अपने प्रियजनों को भेंट मे देने के लिए खरीदें।
३. त्रैमासिक शोध पत्रिका 'अनेकान्त' के ग्राहक बनकर जैन संस्कृति, साहित्य, इतिहास एवं पुरातत्व के शोपानुसन्धान में योग दें ।
४. विविध धार्मिक, सांस्कृतिक पक्ष एवं दानादि के व सरों पर महत् उद्देश्यों की पूर्ति में वीर सेवा मन्दिर की प्रार्थिक सहायता करें |
- गोकुलप्रसाद जैन (सचिव)
अनेकान्त में प्रकाशित विचारों के लिए सम्पादक मण्डल उत्तरदायी नहीं है।
- सम्पादक
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