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मालवा को नवीन अप्रकाशित जैन प्रतिमाओं के अभिलेख
0 डा. सुरेन्द्रकुमार प्रार्य, उज्जैन
भगवान् महावीर के २५०० वें वर्ष में मालवा के दोनों पर प्रभिलेख क्रमश: इस प्रकार है :जैनावशेषो का सर्वेक्षण कार्य उज्जैन के डरसारी व (१) शांति भलई यः ।। मालव प्रान्तीय दिगंबर मूर्ति संग्रहालय के प्रमुख पं. सत्यं
कांता च गुहतों।। वर्द्धमाना षिष्य जेष्ठ घर कुमार सेठी के प्रयासों से प्रारंभ हुमा । एक समिति
कांति सोभयेथस्तयों संवत १२२७ वर्षे बनी जिसके प्रमुख जैन तीर्थ व स्थानों का सर्वेक्षण कार्य
वदि प्रतिपदा गुरोः।। अपने हाथों मे लिया । पुरातत्ववेत्ता पदम श्री डा. विष्णु (२) सं. १२२७ वर्षे ज्येष्ठ वदि प्रतिपदा गुरी श्रीधर वाकणकर ने मुझे विशेषज्ञ के रूप में लिया ।
साध सातिसत नमैः प्रणमति नित्यं ।। श्रीमक्सी क्षेत्र के मंत्री श्री झांझरी ने वाहन सुलभ किया
जिला रतलाम में बदनादर ऐसा स्थान है जहां लगव लगभग शुजालपुर व शाजापुर जिले का सर्वेक्षण संपन्न
भग ७३ जैन मंदिर है व ७२० के करीब तीर्थकर प्रतिकराया। "मालवा के जैनतीर्थ" नामक पुस्तक लेखन के
मायें भग्नावस्था में पड़ी है। यहां की कुछ अभिलेख लिए ऊन, बड़वानी, सिद्धवर कुट, मक्सी जी, बनेडिया जी
युक्त प्रतिमायें जयसिंहपुरा जैन सग्रहालय उज्जैन में प्रा पौर महेश्वर प्रोकारेश्वर की यात्रा की-इन सब प्रयासों
चकी है। परमार ताम्रपत्रों में इस स्थान का नाम से उज्जैन, मदसौर, खरगोन झाबमा व निमाड़ जिले की
बर्द्धनापुर मिलता है जो कालान्तर में बदनावर हो गया। अनेकतीर्थकर प्रतिमाएं प्रकाश में पाई उनके पादपीठ के
यह स्थान परमार कालीन जैन स्थापत्य एवं मूर्ति से मूतिलेखो का वाचन किया गया। यहा केवल मूर्तिलेख
संपन्न है । यहां की एक जैन शासन देवी अइवारोटी रूप वाली प्रतिमायें ली जाती है।
में है । यह प्रतिमा जयसिंहपुरा जैन संग्रहालय उज्जैन में उज्जैन के धार्मिक स्थलो मे गढ़ भैरव प्रसिद्ध स्थान
स्थित है (मूर्तिकमांक ११०) । शीर्ष भाग पर पद्मासन है । यहां काल भैरव के निकट ही शिप्रा के किनारे पोख
में तीर्थकर है जिनकी पुष्पहार से दो युगल पाराधना लेश्वर नामक मंदिर है। यहां १९७४ की ग्रीष्मऋतु में
कर रहे है । बाई मोर वीणाधारी ललितासना अन्य देवी जल सूख गया और उसमे लगभग १६ जन प्रतिमाये
है व दाहिनी ओर जैनदेवी है। नीचे मूर्तिलेख इस प्रकार प्राप्त हुई। यहां की एक ऋषभनाथ प्रतिमा पर निम्नलिखित अभिलेख है :
'संवत १२२६ वैशाख वदी ६ शक्र अद्य संवत १३४० वर्षे ज्येष्ठ वदि १२ शनि. माथुर सघे वर्द्धनापूरे श्री शांतिनाथ चेत्ये सा थी 'गोशल वघेरवालान्वये सा. जस भार्या पदामिणि तत्र लाला भार्या भार्या ब्रह्मदेव उ देवादि कूटम्ब सहितेन निज पुथम सिरि मातृ पाल्हा भार्या राय सिरिमातृ जात्या गोत्र देव्याः श्री अच्छुम्नापा प्रतिकृति कारिता। भार्या "सिरिमाल जात्या भार्या लाडी पुत्रस्य भार्या लाजू श्री कुलादण्डोयाशाय प्रतिष्ठिता:॥' मात काण्त पुत्र माहादेवे सहदेव प्रणमति नित्यं ॥
बदनावर की ही एक अन्य प्रतिमा में ६ शामन उज्जैन जिले की महीदपुर तहसील से २२ मील देवियां है और नीचे परमारकालीन लिपि मे देवियो के पूर्व में स्थित झारड़ा ग्राम मे अनेक तीर्थकर प्रतिमायें नाम लिखे है -(१) वारिदेवी (२)निमिदेवी ( ३) उमा. मकानों की नीव खुदाते समय प्राप्त हुई है । यहा की दो देवी (४) सुवय देवी (५) वर्षादेवी (६) सवाई देवी। जन प्रतिमाओं का उल्लेख १६३४ के इंदौर स्टेट गजे- देवास के निकट नेमावर ग्राम मे अम्बिका की प्रतिमा टियर में हुआ है । दो देवियों की प्रतिमा अभिलेख के पादस्थल पर निम्नलिखित प्रभिलेख है .युक्त हैं । प्रथम पद्मावती की है व दूसरी संभवतः सिद्धा- लोढ़ान्वये देशिन भार्या माना प्रणमति नित्य यिका यक्षिणी है।
सूत्रधारा रक्षित प्रणमति नित्य संवत १२८३