________________
प्रायुर्वेव के माता जैनाचार्य
श्रावक को मुनियों के लिये औषध दान देने की चर्चा की १२ गोमम्टदेवमुनि मेरूम्तम्भ है। इस संदर्भ में यह स्पष्ट है कि श्रावक जैन धर्म की १३ सिजनागार्जन - नागार्जनकल्प, नागार्जुनकक्षपुट समस्त दृष्टियो से अनुकूल प्रौषध व्यवस्था करत थे । इम १४ कीतिवर्म
गौ वैद्य प्रकार के जैन आयर्वेद साहित्य के मनीषी विद्वान ही उनमे १५ मगराज खगेन्द्रमणी दर्पण परामर्श दाता होते थे।
१६ अभिनवचन्द्र हदयशास्त्र आयर्वेद माहित्य के जैन मनीषी विद्वानो की परम्परा १७ देवेन्द्रमनि बालग्रह चिकित्मा निम्न प्रकार ऐतिहामिक दृष्टि मे विवेचन करने योग्य है। १८ अमृतनदी वैद्यक निघट प्रादिनाथ (श्रीऋषभदेव स्वामी)
१६ जगदेवमहापचवाः श्रीवरदेव वंद्यामृत भरतचक्रवर्ती पुन. भगवान महावीर स्वामी
२० सानव
रसरत्नाकर वैद्य सागत्य गणधर एव शिष्यप्रशिष्य, मुनि एव साधु अादि ।
२१ हपंकीति मूरी योग चिन्तामणि उक्त ऐतिहासिक परम्परा का वैदिक प्रायुर्वेद
२२ जैन सिद्धान्त भवन पारा के माहित्य से कोई मनभेद नही है। भगवान आदिनाथ से
वैद्य मारसग्रह,
ग्रारोग्य चिन्ता मणि भगवान महावीर स्वाभी तक के प्रायुर्वेद माहित्य के जैन
२३ पूज्यपाद- अकलक सहिता,
औषध इन्द्र नदीमहिता
प्रयोग मनीषियो का कोई लिखिन साहित्य नहीं है, किन्तु भगवान
२४ पाशाधर महावीर के निर्वाण के उपरान्त जब मे शास्त्र लिखने की
वैद्य अष्टाग हृदयटीका १३ वी. श. परम्परा प्रारभ हुई, उसके बाद जो प्राचार्य हए उन्होंने जा
२५ मोमनाथ कल्याणकारक मायुर्वेद साहित्य लिखा है उसका विवरण अवश्य पान
(काल) भी प्राप्त है और अधिकाश का नामोल्लेख सास्त्रा में
२६ नित्यनाथ विकीर्ण मिलता है।
रसरत्नाकर १४वी. श. गायन मुझे यब तक प्रायवेद साहित्य के जिन जैन मनोपियो
२७ दामोदर भट्ट प्रारोग्य चिन्ताका नाम, उनके द्वारा लिग्विन कृति तथा काल का ज्ञान
मणि (कन्नड) हुपा है उसे मैं नीचे एक सूची के द्वार। व्यक्त कर रहा हू.
२८ धन्वन्तरी धन्वन्तरी निघटु जिससे मम्पूर्ण जैन प्राचार्यो का एक साथ ज्ञान हो सके।
काश प्राचार्य नाम ग्रन्थ काल विषय २६ नागराज योगशतक १ श्रुतकीर्ति
३० कवि पाश्र्व रोगरत्नावली २ कुमारसेन
३१ कविमानजी कविप्रमोद १७४६ रम३ वीरसेन --- विष एव ग्रह
वि. स. शास्त्र ४ पूज्यपाद पात्रस्वामी वंद्यामृत १२ वी.श. शालाक्यतत्र ३२ रामचन्द्र वद्य विनोद १८१० ५ सिद्धसेन दशरथ गुरू बालराग
वि. स. सग्रह ६ मेघद्वाद
बालरोग ३३ दीप चन्द्र बानतत्र भाषा १६३६ कौमार७ सिंहनाद वाजीकरण एव रसायन
वर्धानका _ विस. मृत्य ८ समन्तभद्र (१) पुष्पायुर्वद
लधन पथ्य (२) सिद्धान्त रसायन कल्प-१० वी. श.-रसायन वल्लभ निर्णय कालज्ञान १८ श. ६ जटाचार्य
३५ दरवेश हकीम प्राणसुख १८०६ वि.स. १० उग्रादित्य कल्याणकारक हवी. श चिकित्सा ३६ मनि यशकीति जगसुन्दरी ११ वसवराज
प्रयोगशाला