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2.सत्य वही है जो इन्द्रिय गम्य है। अतीन्द्रिय ज्ञान है तो प्रमाण क्या ? उसका साक्षात् करने वाला कौन ? साक्षातदृष्टा है या नहीं, कैसे विश्वास करें ? इसीलिये अतीन्द्रिय ज्ञान की चर्चा व्यर्थ है। इन्द्रिय गम्य सत्य के द्वारा ही जीवन की सारी समस्याओं का समाधान और दुःख मुक्ति संभव है।
3. कुछ लोगों के अभिमत से प्राप्त को छोड़कर अप्राप्त के लिये प्रयास उचित नहीं है। भूत-भविष्य की उपेक्षा कर केवल वर्तमान की समीक्षा में ही जीवन की सार्थकता है। जीने के लिये इन्द्रिय ज्ञान ही पर्याप्त है। अज्ञानवाद के फलित __1. ज्ञान-उन्माद, वाद-विवाद, संघर्ष, कलह और अहंकार आदि की प्रसव
___ भूमि है।
2. अज्ञान अपराध से बचने का सरल उपाय है। 3. अज्ञान के कारण मन में रागादि भावों का उद्भव नहीं होता। 4. अल्पज्ञानी सर्वज्ञ की पहचान नहीं कर सकता। 5. संसार में अनेक दर्शन हैं, उनमें स्वयं में परस्पर विरोध होने से सत्य का निर्णय ... नहीं कर पाते।
6. मुक्ति - प्राप्ति का साधन अज्ञान ही है। अज्ञानवादी दार्शनिक
अज्ञानवादियों ने ज्ञान के अस्तित्व को नकार कर समस्त वस्तुजगत् का अपलाप किया है। इनका ज्ञान पल्लवग्राही है, आत्मानुभूति जन्य नहीं अज्ञानवादी आचार्यों के नाम निम्नानुसार हैं- 1. शाकल्य 2. वाल्कल 3. कुथुमि 4. सात्यमुनि 5. नारायण (राणायन) 6. काठ (कण्व) 7. माध्यंदिन 8. मौद 9. पैप्पलाद 10. बादरायण 11. अबष्ठिकृद् (स्वेष्टकृद्, स्विष्टिकृत) 12. औरिकायन 13. वसु 14. जैमिनी। 1. शाकल्य
पाणिनि ने अष्टाध्यायी में शाकल्य का उल्लेख किया है। महाराज जनक की सभा में याज्ञवल्क्य का ऋषियों के साथ जो महान संवाद हुआ, उसका वर्णन शतपथ काण्ड में है।61 उन ऋषियों में एक विदग्ध शाकल्य का नाम हैं, जो ऋग्वेद के प्रसिद्ध आचार्य हुए हैं। इनका पूरा नाम 'देवमित्र शाकल्य' था।62
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· अहिंसा की सूक्ष्म व्याख्याः क्रिया