Book Title: Ahimsa ki Sukshma Vyakhya Kriya ke Sandarbh Me
Author(s): Gaveshnashreeji
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 453
________________ (ग) धवला सूत्र; 36 पृ. 130 20. चित्त और मन; पृ. 8 21. नंदी चूर्णि; पृ. 46-61 22. जैन दर्शन : मनन और मीमांसा; पृ. 515 23. ज्ञान - मीमांसा; पृ. 158 24. वही; पृ. 157 25. (क) आवश्यक चूर्णि; पृ. 544-552 (ख) नंदी वृत्ति; पृ. 132 26. नंदी; गा. 38 27. वही; 39 28. वही; 38 29. वही; 38 30. जीव - अजीव; पृ. 40 31. योगशास्त्र; 12/2 32. मनोनुशासनम्; सू. 2 दृष्टिचारित्रमोहपरिव्याप्तं मूढम् । 33. वही; सू. 4 इतस्ततो विचरणशीलं विक्षिप्तम्। 34. वही; सूत्र 5 कदाचिदन्तः कदाचिद् बहिर्विहारि यातायातम् । 35. वही; सूत्र 8 स्थिरं श्लिष्टं। 36. वही; सूत्र 9 सुस्थिरं सुलीनं । 37. योगशास्त्र; पृ. 283/12/3 सुलीनमतिनिश्चलम्। 38. मनोनुशासनम्; सूत्र 13 निरालम्बनं केवलमात्मपरिणतिः निरूद्धम्। 39. पातंजल योगदर्शन; सू 1/18 40. संभवामि क्षणे क्षणे; पृ. 450 41. भारतीय दर्शन; पृ. 190 क्रिया और मनोविज्ञान 393

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