Book Title: Ahimsa ki Sukshma Vyakhya Kriya ke Sandarbh Me
Author(s): Gaveshnashreeji
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 442
________________ अचेतन मन का स्तर अत्यन्त शक्तिशाली है। चेतन मन उससे प्राप्त निर्देशों के अनुसार अपना कार्य करता है। अचेतन मन का स्तर बहुत सक्रिय है। हमारे व्यवहारों पर सबसे अधिक इसका प्रभाव पड़ता है। अचेतन मन की विषय सामग्री दो स्रोतों से आती है। एक भाग पाशविक विचारों का, दूसरा, उन विचारों, स्मृतियों, इच्छाओं का, जो कभी चेतन थी किन्तु उन्हें दमित कर दिया गया। दमित इच्छाओं की अभिव्यक्ति सरलता से नहीं होती। जो इच्छाएं अधिक जटिल नहीं हैं, उनकी अभिव्यक्ति, स्वप्न, प्रच्छन्न कल्पनाएं, आन्तरिक संघर्ष आदि के माध्यम से हो जाती है। इस प्रकार अचेतन मन दमित आवेगों, भूले हुए अनुभवों, इच्छाओं, आवश्यकताओं, संवेगों, लालसाओं का भंडार है।66 अचेतन मन की विशेषताएं (1) अचेतन मन व्यक्ति के विचारों एवं मानसिक क्रियाओं पर बहुत प्रभाव ___डालता है। (2) अचेतन मन व्यक्ति के व्यवहार का सम्पादन एवं नियंत्रण करता है। (3) अचेतन मन में विरोध नहीं पाया जाता। (4) अचेतन मन के सभी विचार सक्रिय होते हैं। (5) अचेतन मन की आधार शिला शैशव काल में रखी जाती है। अवचेतन एवं अचेतन मन का अन्तर ___अवचेतन मन की क्रियाएं न तो पूर्ण रूप से व्यक्त होती है न अव्यक्त। ये सरलता से चेतन मन में प्रवेश कर देती है। इन पर किसी प्रकार का प्रतिबंध काम नहीं करता। जबकि अचेतन मन की क्रियाएं पूर्णत: अव्यक्त होती है। उन पर प्रतिबंधक का नियंत्रण रहता है। चेतन मन का नियन्त्रण कम होने पर अचेतन मन के संस्कार सक्रिय होते हैं। अनैतिक विचार या व्यवहार अभिव्यक्त होने लगता है। आक्रामकता की सहज वृत्ति अचेतन मन के कारण ही निष्पन्न होती है। इस संदर्भ में फ्रायड द्वारा किये गए व्यक्तित्व के तीन विभाग हैं- 67 (1) इदम्, (2) अहम्, (3) पराअहम्। (1) इदम्- उन्होंने इदम् को अनैतिक, अतर्कित, मूल प्रवृत्तियों का केन्द्र तथा शैशव अवस्था का स्तर माना। यह पूर्णत: अचेतन है। व्यक्ति की जैविक एवं भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये यह कार्यरत रहता है। 382 अहिंसा की सूक्ष्म व्याख्याः क्रिया

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