________________
उसके स्पर्श, रस, गंध भी स्वतः प्रमाणित हैं क्योंकि ये सब सहचारी हैं। वर्ण की तरह
अंधकार का स्पर्श भी अनुभूत सत्य है। धूप से संतप्त व्यक्ति अंधकार में सहज शीतलता का अनुभव करता है। शीतलता, उष्णता आदि स्पर्श के अभाव में संभव नहीं। इसी प्रकार गंध और रस भी अंधकार में विद्यमान है। तात्पर्य की भाषा में प्रकाश की तरह अंधकार भी वर्ण, गंध आदि से युक्त है। अतः अंधकार प्रकाश का अभाव नहीं बल्कि द्रव्य की स्वतंत्र पर्याय है।
वर्तमान विज्ञान ने प्रकाश के सम्बन्ध में काफी अनुसंधान और प्रयोग किये हैं। उनमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण हैं- लेसर किरणों की खोज । लेसर किरणें प्रकाश का घनीभूत रूप है। उसकी शक्ति का अनुमान है- एक वर्ग सेंटीमीटर प्रकाशीय क्षेत्रफल में 60 करोड़ किलोवाट शक्ति पाई जाती है। लेसर एक शुद्ध प्रकाश है। इसमें केवल एक ही आवृत्ति की तरंगें होती है। प्रत्येक तरंग एक दूसरी के समानान्तर चलती है। साधारण प्रकाश अपने स्रोत से निष्कासित हो चारों और फैलता है। लेसर प्रकाश एक दिशागामी होता है, फैलता नहीं।
वैज्ञानिक प्रकाश को तरंग मानते थे, कण नहीं। लेकिन क्वांटम सिद्धांत ने यह सिद्ध र दिया कि प्रकाशन तो पूर्णत: सूक्ष्म कण है, न तरंग। वह दोनों है। विभिन्न परिस्थितियों में कभी वह कण की तरह व्यवहार करता है, कभी तरंग की तरह। प्रकाश विद्युत चुम्बकीय तत्त्व है। यह एक वर्ग मील क्षेत्र में प्रति मिनट आधी छटांक मात्रा में सूर्य से गिरता है। यदि सूर्य - प्रकाश के पूरे ताप का वजन लिया जाये तो वह प्रति मिनट 250,000,000 टन निकलता है। विज्ञान ने प्रकाश को भी अन्य पदार्थों की तरह एक भौतिक पदार्थ और गतिमान माना है। प्रकाश की गति सदा एक सी (Constant) रहती है। प्रकाश चाहे सूर्य के आतप के रूप में हो या चन्द्र के उद्योत में हो, मणि की प्रभा या बिजली की चमक के रूप में हो, अपने-अपने केन्द्र के चारों और सतत प्रति सेकेण्ड 186294 मील की गति से चलता है।
आतप
'सूर्यादीनामुष्ण: प्रकाश आतपः' : '49 उष्ण प्रकाश का नाम ताप या आतप है। 50 यह पुद्गल का एक परिणमन है। आतप सूर्य या अन्य उष्ण पदार्थों का गुण नहीं है। कारण पौद्गलिक होने से प्रकाश एक स्वतंत्र द्रव्य है। अन्यथा उसे पुद्गल की पर्याय कहने का कोई औचित्य नहीं रह जाता है।
302
अहिंसा की सूक्ष्म व्याख्याः क्रिया