Book Title: Ahimsa ki Sukshma Vyakhya Kriya ke Sandarbh Me
Author(s): Gaveshnashreeji
Publisher: Jain Vishva Bharati
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24. भगवती वृत्ति पत्र, 365 भाजनं आधारः ।
25. वही; पत्र. 365 - जीर्णगुडस्य जीर्णतंदुलानां च पिण्डीभवन लक्षणः । 26. तत्त्वार्थाधिगम भाष्यवृत्ति 5/24 पृ. 360
27. जैन सिद्धान्त दीपिका; पृ. 12
आकृति : संस्थानम्। तच्चचतुरस्रादिकं इत्थंस्थम्, अनियताकारं अनित्थंस्थम् 28. तत्त्वार्थ राजवार्तिक 5/14/16
29. जैन सिद्धान्त दीपिका; पृ. 12
30. वही, सूत्र. 15 विश्लेषः - भेदः । स च पञ्चधा
1. उत्करः मुद्गशमीभेदवत् ।
3. खण्डः लोहखण्डवत् । 5. अनुतटिका - तटाकरेखावत् ।
31. तत्त्वार्थ सूत्र; 5/26
32. उत्तराध्ययन; 36/19-20
-
2. चूर्ण: गोधूम चूर्णवत्।
4. प्रतर: अभ्रपटभेदवत्।
फासओ परिणया जे उ, अट्ठहा ते पकित्तिया । कक्खडा मउया चेव, गरुया लहुया तहा।
या उहाय निद्धा य, तहा लुक्खा य आहिया । इइ पुसपरिणया एए, पुग्गला समुदाहिया ॥
33. जैन दर्शन और आधुनिक विज्ञान; पृ.47
34. जीव - अजीव वैज्ञानिक विश्लेषण
35. उत्तराध्ययन; 36/8
रसओ परिणया जे उ पंचहा ते पकित्तिया । तित्त, कडुय, कसाया, अंबिला महुरा तहा। 36. कादम्बिनी; अगस्त 1967 पृ.40
37. पंचास्तिकाय; 71
"
सद्दो खंधप्पभवो खंधो परमाणुसंगसंघादो। पुट्ठेसु तेसु जायदि सहो उप्पादगो णियदो।।
38. जैन दर्शन: स्वरूप और विश्लेषण; पृ. 181 - 182
39. प्रज्ञापना सूत्र; पद 11 सू. 880
40. Text Book of Physics, p. 249
क्रिया और परिणमन का सिद्धांत
41. प्रज्ञापना पद 11, सूत्र 880
42. जीव - अजीव वैज्ञानिक तत्त्व; पृ. 226 से उद्धृत 43. जंबुद्वीप; अ. 5 पृ. 285
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