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"The most interesting thing the picture depicts is six men standing by a mango tree. Their hearts of various kinds, corresponding to their respect for life. The black hearted man tries to fall the tree. The indigo, grey and red hearted are respectively contect with big bought, small branches and ting springs. The pink-hearted man merely plucks a single mango, but the man with the white heart or perfection waits in patience for the fruit to drop."
इस प्रतीकात्मक या चित्रात्मक शैली के माध्यम से यह दर्शाया गया है किचिन्तन के छह स्तर है। उत्तराध्ययन आदि आगमों के अनुसार प्रथम व्यक्ति कृष्ण लेशी है क्योंकि उसमें क्रूरता और हिंसा के भाव तीव्र हैं। दूसरा, तीसरा, चौथा, पांचवां, छट्ठा व्यक्ति क्रमशः नीललेशी, कापोत लेशी, तेजो लेशी, पद्मलेशी और शुक्ल लेशी है। इनमें क्रमश: क्रूरता और हिंसा के भाव मन्द, मन्दतर है । फलत: भूख मिटाने के बारे में इनके विभिन्न चिन्तन इस बात को सूचित करते हैं कि लेश्या परिवर्तन के साथ विचार अथवा मनोभाव कैसे परिवर्तित होते है इसका सहज अनुमान इस चित्र से किया जा सकता हैं।
1. जघन्य
2.
मध्यम
3. उत्कृष्ट
जघन्य
जघन्य
जघन्य
—
मध्यम
मध्यम
मध्यम
उत्कृष्ट
उत्कृष्ट
उत्कृष्ट
परिवर्तनशील उपर्युक्त मानसिक दशाओं का मन, वचन, कार्य से गुणन करने पर विकल्पों की वृद्धि होती है। उदाहरण के लिए संक्लेश के नो प्रकारों- जैसे 9 ×3 = 27, 27 × 3 81, 81 × 3 = 243 इस प्रकार मानसिक परिणामों की तरतमता के आधार पर प्रत्येक लेश्या के अनेक परिणमन हैं।
रंगविज्ञान और लेश्या
रंगों के आधार पर मनुष्य की जाति, गुण, स्वभाव, रुचि, आदर्श आदि की व्याख्या करने की परम्परा प्राचीन है। तांत्रिकों, मांत्रिकों, भौतिकवादियों, शरीर - शास्त्रियों, मनोवैज्ञानिकों आदि के अध्ययन से यह तथ्य सामने आता है कि रंग चेतना के सभी स्तरों को प्रभावित करता है। वैज्ञानिकों ने रंगों का मानवीय प्रकृति के साथ संबंध स्पष्ट करते हुए बताया है कि- लाल, गुलाबी, बादामी, नारंगी रंगों से मानव की प्रकृति में ऊष्मा बढ़ती है। नीला, आसमानी शीतलता देता है। हरा, समशीतोष्ण है। सफेद रंग से क्रिया और कर्म - सिद्धांत
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