Book Title: Samkit Pravesh - Jain Siddhanto ki Sugam Vivechana
Author(s): Mangalvardhini Punit Jain
Publisher: Mangalvardhini Foundation
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________________ समकित-प्रवेश, भाग-1 प्रवेश : फिर दोनों में अंतर क्या है ? समकित : जो धर्म-तीर्थ यानि कि मोक्ष-मार्ग' का उपदेश देते हैं, तीर्थंकर प्रकृति नाम के महान पुण्य के उदय के कारण जो समवसरण आदि बाहरी-वैभव से सहित होते हैं, उन्हें तीर्थंकर कहते हैं। वे चौबीस होते प्रवेश : उनको तीर्थंकर प्रकृति का उदय क्यों होता है ? समकित : क्योंकि, उन्होंने पिछले जन्म में यह मंगल भावना भायी थी कि यह मोक्षमार्ग का उपदेश जन-जन तक पहुँचे। प्रवेश : वे चौबीस तीर्थंकर कौन-कौन से हैं ? समकितः वे चौबीस तीर्थंकर हैं 01. ऋषभदेव (आदिनाथ) 02. अजितनाथ 03. संभवनाथ 04. अभिनंदननाथ 05. सुमतिनाथ पद्मप्रभ 07. सुपार्श्वनाथ 08. चन्द्रप्रभा 09. पुष्पदंत (सुविधिनाथ) 10. शीतलनाथ 11. श्रेयांसनाथ 12. वासुपूज्य 13. विमलनाथ 14. अनंतनाथ 15. धर्मनाथ शांतिनाथ 17. कुथुनाथ 18. अरनाथ मल्लिनाथ 20. मुनिसुव्रतनाथ नमिनाथ नेमिनाथ (अरिष्ट-नेमि) 23. पार्श्वनाथ 24. महावीर (वर्द्धमान,वीर, अतिवीर, सन्मति) 1.path to salvation 2.arise 3.external magnificence