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अण्णास्मो संधि
कौन समझ सका है, कौन उसके प्रमाण और शनिको पहचान सका है ? क्या बल, और क्या दुर्निवार सेना ? जो देवताओं और दानवोंकी भी सेनासे नहीं डिगा, उसे मनुष्य कैसे पकड़ सकते हैं? यदि गमड़की सर्पसे और इन्द्रके
की कुल पर्वतोंसे सन्धि सम्भव हो, यदि आग और पानी, सिंह और गजराजों में सन्धि हो सकती हो,' यदि चन्द्रमा और कमल, सूर्यकी किरणों और चाँदनी में सन्धि होती हो, यदि गधे और हाथी, प्रलयकालके पवन और मेघों में सन्धि होती हो, यदि दिन-रात में सन्धि सम्भव हो, यदि कामदेव और जिन भगवान् में सन्धि सम्भव हो, सुन्दर अक्षरवाले अर्थों और शब्दसे दूर रहनेवाले अर्थों में, अथवा उदंड और नये विनीत राजजनों में सन्धि सम्भव हो तभी राम और रावणमें सो सकती है१५॥
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[१२] यह सुनकर, युद्धमें अडिग अंगदने, रावणको बारबार समझाया, और कहा, "हे रावण, तुम बार-बार व्यर्थ गरजते हो। तुम्हारा यह गरजना, एकदम व्यर्थ और पराक्रम शून्य है। बताओ, सीतादेवीको वापस न करनेमें तुम्हें क्या लाभ है, वह कौन है, जो इस प्रकार सज्जनोंके हृदयको जला रहा है, वह कौन है, जिसके कारण शम्बुकुमार का नाश हुआ । वह कौन है, जिसके कारण सूर्यहास खन दूसरेके हाथ में चला गया । वह कौन है, जिसके कारण चन्नखा की विडम्बना हुई । वह कौन है, जिसके कारण खरकी सेना और बलिकी भी विडम्बना हुई, वह कौन है, जिसके कारण आशाली विद्याका अन्त हुआ। वह कौन है, जिसके कारण कोटपाल मारा गया । वह कौन है, जिसके कारण विशाल उद्यान उजड़ गया। वह कौन है, जिसके कारण चतुरंग सेनाका नाश