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एक्कुमो संधि
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[१२] रत्नाकर में रत्नोंकी खान पायी जाती है। कोयल कुल में मीठी बोली मिलती है। मलय पर्वत में चन्दन मिलता है, युवतियोंके अंगमें सुख मिलता है, कुबेरसे धरतीभर सोना मिलता है, सोनेकी आगसे सुवर्णकी प्राप्ति होती हैं, सेवासे ही स्वामीका प्रसाद मिलता है, विनय करनेपर ही जनताका प्रेम मिलता है, सज्जन होनेपर ही गुण, दान और यशकी उप लब्धि होती है, असिवर में श्री और गुरुकुलमें परम वृप्ति मिलती है। वशीकरणसे स्त्रीरत्न मिलता है, महाकाव्य में सुभा पित और सुकविवचन मिलते हैं। उपकार करनेकी भावना में अच्छा मित्र मिलता हैं, कोमलतासे ही विलासिनीके सुन्दर चित्तको पाया जा सकता है, शत्रुके निकट, महामूल्य संघर्ष मिल सकता है, उत्तम वैदूर्य पर्वतके मूलमें वैदूर्यमणिका खण्ड मिल सकता है। हाथी में मोती सिंहलद्वीपमें मणि, वञ्चपर्वतसे विशाल वत्र मिल सकता है, विजय मिलनेपर ये सब चीजें प्राप्त की जा सकती है, परन्तु अपना सबसे अच्छा भाई नहीं मिल सकता ॥१-९२॥
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[१३] दशरथ पुत्र भरतके रोनेपर, उसके सच परिजन फूटफूटकर रोने लगे। दुःखसे भरकर सारे लोग रोने लगे । कणकण शोकसे भर उठा। समुद्रहस्त और भृत्य समूह रोने लगे, मानो हिमपवनसे आहत कमलसमूह हो । शोकसे भरकर समूचा अन्तःपुर रो पड़ा, मानो नष्ट होता हुआ दुःखी शंखसमूह हो । रामकी माता अपराजिता रोने लगी, पतिके वंश वृक्ष की जड़ खोदनेवाली कैकेयी भी रो उठी । कान्तिहीन होकर सुप्रभा रो पड़ी। सौमित्र ( लक्ष्मण ) की माँ सुमित्रा रो रही थी, "हे बेटे, तुम कहाँ चले गये । शक्तिसे तुम्हारा वक्षस्थल कैसे आहत हो गया है, हे बेटे, मरते समय तुम्हें न देख पायी, हा,