Book Title: Paumchariu Part 4
Author(s): Swayambhudev, H C Bhayani
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 342
________________ पउमचरिस करमा मुसुथरिय असि-धाह। मोतिय-दन्तुव इसियत बहरेंहि ॥८॥ करवाद रहिर-पवाहिणि धापा। जाट महाहा पाउसुभाषइ ॥९॥ घसा सोणिय-जल-पहरणगिरहि वसुइन्तराल पाहयल-गएँ हि । पजालइ पलह धूपाइ रणु गं अग-खय काळें काल-वयण ॥१०॥ [1 ] नाव रग-उ भुषणु महलन्तु । रवि-मण्डल पइसरह तहि मि सूर-कर-णियर-तत्तः । पचिखलेंवि दिसामुहि सुड़ियनासु णावइ णियसउ ॥ सुर-मुहाई अ-लहन्तउ थिउ हेहामुह । पलय-धूमकेत व धूमन्त-दिसामुक ॥१॥ सक्तिनइ पालहन्तु रेणु। रण-वसहहोणं रोमन्ध-फेशु ॥२॥ सोमित्तिहें रामही रावणासु । णं सुरहि विसजिउ कुसुम-बासु ॥३॥ रणविहें णं सुरवहु-जणेण । धूमोटु दिपणु गह-मायणेण ॥४॥ सर-पियर-णिरन्तर-जजरात। गं धूलिहोवि गहु परहुँ का ॥५॥ लयमेव सूर-कर-वंइड म्य। तिसिउप सुटटु पासेहउ रुष ॥ जल पियह व गय मय-दहें अथाह पहाइव सोणिय-वाहिणि-पधारे ५७॥ सिञ्चह घ कुम्मि-कर-सीयरेहि । विजिजाई व्ष घल-बामरहिं ॥८॥ गं सावराहु असिवर-कराहँ । कम-कमलदि णिचकह गरया ॥९॥ पत्ता मुअउ प पहरण-सय-सलियर दक्षुध कोवग्गिहें घल्लिया। सहसति समुजलु जाउ रण खल-विरहिज णं समग-अषण ।।१०॥

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