________________
सटिमो संधि कोन्त, कोलाहल, कौमुदीवदन, वासनी, कंजक, मुद्र, इन्द्रायुध, इन्द्र, प्रतीन्द्र, सुन्दर, शल्य, विद्वाल्य, मल्ल, हल्लिर, कल्लोलुल्लोल, कुर्चर, धामिर, धूम्रलक्षी, धूमावली, धूमावर्त, धूमर, दूषण, चन्द्रसेन, दृसासन, दूसल, दुरित, दुष्कर, दुनिय, मरिन, दुर्योधन, तार, सुतार, तासगा, हुल्लुर, ललित, टुंच, उल्लूरण, ताराबली, गदासन, तारा, निलय, तिलक तिलकावलि, तिलकावर्त भजन, जरविधि, वनबाहु, मरबाहु, सुबाहु, मुरिष्ट, अंजने । सैकड़ों युद्धोका निर्वाह करनेवाले ये राजा और जो बाकी बचे थे वे बड़े-बड़े विमानोंमें बैठकर चल पड़े ॥ १-७ ।।
[८] एक रथचर, एक गजवर, तीन अश्वों और पाँच पैदल सिपाहियोंसे पंक्ति बनती है और तीन पंक्तियोंसे सेना । तीन सेना-पंक्तियोंसे सेनामुख बनता है। तीन सेनामुखोंसे एक गुल्म बनता है, और तीन गुल्मोंसे वाहिनी बनती है। तीन वाहिनियोंसे एक पृतना बनती है, और तीन पृतनाओंसे चमू बनती है। ऐसा पण्डितों ने कहा है। तीन चमुओंसे अनीकिनी बनती है और दस अनीकिनियोंसे एक अलौहिणी सेना बनती है। जिसकी एक हजार भी अक्षौहिणी सेनाएँ होती हैं उनका संसारमें नाम चमक जाता है। जिसके पास चार करोड़ मैंतीस लाख चालीस हजार अक्षौहिणी सेनाएँ हों, एक संख्य रथ और गज हों। सेनामें मत्सरसे भरे हुए इक्कीस करोड़ सत्तासी लाख आदमी थे। जिसमें तेरह करोड़ बारह लाख बीस हजार अभंग अश्वों की संख्या थी ॥१-९॥