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ही है; परन्तु इसके इतिहास एवं पुरातत्व सम्बंधी प्राचीन प्रमाण भी उपलब्ध होते हैं और राजस्थान के प्रसिद्ध इतिहासकार श्री अोझाजी, टाँड साहब आदि तथा वर्तमान राजस्थानी इतिहासज्ञ भी इन तीनों में घनिष्ट संबंध रहा हुआ बतलाते हैं। पाली में प्राप्त प्राचीनतम लेख वि० सं० ११४४, ११५१ और १२०१ में पाली पल्लिकीय शब्दों का प्रयोग इन तीनों में प्राचीनतम संबंध को प्रगट करने में पूर्व सक्षम है । अधिक ऊहा पोह की आवश्यकता ही प्रतीत नहीं होती। __ कन्नौज के अंतिम महाराज राठौड़ या गहड़वाल जयचंद के मुहम्मद गोरी के हाथों अन्त में परास्त होगए। कन्नौज का साम्राज्य छिन्न भिन्न हो गया। वहाँ से कई राठौड़ कुल और अन्य प्रतिष्ठित कुल भारत के अन्य भागों में चले गये और जिसको जैसा अवसर प्राप्त हुआ उसने अपना वैसा-वैसा चलन स्वीकार किया । कई कुल वीरो ने छोटे-छोटे राज्य भी स्थापित किये। ऐसे पुरुषों में जोधपुर के राठौर राजवंश का प्रथम पुरुष रावसीहा था। रावसीहाने पाकर पाली में अपना राज्य स्थापित किया। इसके संबंध में भांतिभांति की कई किंवदन्तियाँ प्रचलित हैं; परन्तु यहाँ राठौर राज्य की स्थापना का विषय प्रस्तुत इतिहास का अंग नहीं है। मात्र इतना ही लिख देना प्रर्याप्त है कि पाली के समृद्ध व्यापारी श्रेष्ठि (१) गौरी शंकर ओझा कृत राजस्थान के इतिहास में
जोधपुर राज्य का इतिहास । (२) टाँड राजस्थान में पाली सम्बंधी विवरण ।
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