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३१ सैलवार भी पल्लीवालों के साथ ही कन्या-व्यवहार करते थे। २
विभिन्न प्रान्त एवं राज्यों में विभाजित यह पल्लीवाल ज्ञाति भले दूर-दूर तक फैली हो; परन्तु जन संख्या में मेरे विचार से वैश्य ज्ञातियों में सब से छोटी जाति है । लगभग ३५० ग्रामों में - वसती है और जन संख्या में लगभग ६००० नौ सहस्त्रकुल स्त्रीपुरुष-बाल-बच्चे मिलकर हैं । जन-संख्या का एक कोष्टक जो मास्टर कन्हैयालाल जी ने सन् १९२० में प्रस्तुत किया था उसको यहाँ उद्धृत किया जा रहा है।३ ।
२. लगभग १५० वर्ष पूर्व दोवान रामलाल जी चौधरी पल्ली
वाल का विवाह अलवर के दीवान लाला सालिगराम जी सैलवाल के यहां हुआ था। सैलवान और जैसवाल दोनों में तो पूर्व से ही कन्या व्यवहार था ही। वैसे दोनों ज्ञातियां विशेषत: जैन धर्मी थी हो । उपरोक्त विवाह से इन दोनों जातियों का विवाह सम्बन्ध पल्लीवालों में भी प्रारम्भ हो गया।
३. तीनों दलों में अनेक गोत्रों की एवं धर्म की समानता है
और इस गोत्रीय एवं धर्म की समानता पर ही आधुनिक सुधारवादी पल्लीवाल बन्धु भोजन-कन्या-व्यवहार परस्पर चालू करने में अनुकरणीय सुधार कर सके हैं।
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