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पल्लीवालो के कुछ रत्न
श्रेष्ठि श्रीपाल और उनका वंश
तेरहवी शताब्दी के प्रारंभिक वर्षों में भृगुकच्छ में पल्लीवाल ज्ञातीय श्रेष्ठि सोही रहता था। वह मुक्तात्मा, श्रावकाग्रणी, ज्ञानी, शान्त प्रकृति और महान् तेजस्वी था। उसकी स्त्री सुहवादेवी निर्मल बुद्धिमती थी। उनके पासणाग नाम का एक ही पुत्र था । पासणाग की धर्मपरायणा स्त्री पऊश्री थी। इन के तीन पुत्र साजरण, राणक और पाहड़ तथा दो पुत्री पद्मो और जसल थीं। राणक वालबय में ही जिनेश्वर का स्मरण करता हुआ स्वगंगति को प्राप्त हो गया था। ___ साजण निर्मलात्मा, सत्यवक्ता एवं शीलवान् था। सहजमती नाम की उसकी पतिव्रता पत्नी थी। इनके रतधा नाम की एक पुत्री और मोहण, साल्हण नाम के दो पुत्रथे।
आहड़ की पत्नी का नाम चाँदू था, जो सचमुच कुल की उज्वला चन्द्रिका थी । इनके पांच सन्तानें हुई-पाशा, श्रीपाल, धांधक,पदमसिंह नाम के चार पुत्र और ललतू नामा एक पुत्री। __ आशा की स्त्री आशादेवी थी। जैत्रसिंहादि इनके पुत्र थे। श्रीपाल की पत्नी का नाम दील्हुका था और वील्हा नाम का इनके बुद्धिमान पुत्र था। धांधक को स्त्रो रुक्मिणी थी। पद्मसिंह की स्त्री का नाम लक्ष्मी था और रत्नादि इनके पुत्र ये। ललतू धर्म
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