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लाला गणपतिलालजी की भगिनी के विवाह पर हुई। द्वितीय बैठक सन् १८६४ मार्च १० को श्री गड्डरमल के विवाह पर हुई। तृतीय स्मरणीय बैठक ज्ञाति में प्रसिद्ध ला० गणेशीलालजी के क्रिया वर पर हुई। तात्पर्य कि ऐसे ही समाज-सम्मेलन के अवसरों पर क्लब की बैठकें होती गई। अब क्लब की ओर से एक मासिक पत्र भी चालू किया गया। जिसमें प्राय: रस्म-रिवाज, प्रथारूढ़ियों सम्बंधी ही विवरण रहा करते थे। धीरे धीरे यह क्लब अपनी जाति के विद्यार्थियों को छात्र-वृत्ति भी रु० २) ५) ७) १०) १५) मिडिल से एम० ए० तक क्रमशः निर्धारित ढंग से देने लगा।
प्रथम में जब बा० कन्हैयालाल आदि अति उत्साही युवक नौकरी करने के लिये दूर चले गये तो क्लब कुछ शिथिल पड़ने लगा था, परन्तु बाबू जादोनाथ के उत्साह एवं प्रयत्नों से वह बन्द होने से बच गया। आगे तो इसके सदस्यों में से कुछ ही वर्षों में कुछ लोग राजकीय अच्छे पदों पर पहुँच गये और उनका समाज पर अच्छा प्रभाव पड़ने लगा। श्री बुलाकीरामजी प्रयाग में ऐज्यूकेशन-सुपरिन्टेन्डेन्ट हो गये । मा० कन्हैयालालजी का प्रभाव तो दिनों दिन फैल ही रहा था। विषेशता यह थी कि सभा के सदस्य बड़े होनहार , उत्साही युवक थे और वे दूर दूर नगरों के थे। वे अपने २ घरों में , अपने प्रभाव एवं प्राधीन होने वाले विवाह, क्रियावर , छोटे-बड़े भोजों के अवसरों पर क्लब के उद्देश्य के अनुसार ही करने, कराने के लिये दृढ़ प्रतिज्ञ थे। अत:
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