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पल्लीवालज्ञाति का अन्य जैन ज्ञातियों में स्थान
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जैन ज्ञातियों में श्रोसवाल, श्रीमाल, पोरवाल, खण्डेलवाल, बघेरवाल अगरवाल' आदि कई ज्ञातियां हैं उनमें पल्लीवाल ज्ञाति भी एक है । पल्लीवाल ज्ञाति वर्ग में ही जैसवाल और सेलवाल अति छोटी दो ज्ञातिया भी सम्मिलित है । जैन ज्ञातियों में मेड़तवाल, दिशावाल, पल्लीवाल, नागरवाल, वागड़ी प्रति छोटी ज्ञातियां हैं । फिर धर्म और अर्थ के क्षेत्रों में अपने अपने आकार के अनुसार सर्व ज्ञातियां अपना अपना प्रभुत्व रखती प्राई हैं । यह स्वभावः मानना पड़ता है कि जिसके सौ हाथ उसके सौ साथ । इस दृष्टि से सवाल, श्रीमाल, पोरवाल, अगरवाल ज्ञातियां अधिक समुन्नत रहीं । राज्य, व्यापार, तीर्थ धर्मस्थानों में इनका ही बोलबाला रहा। परन्तु जब समानुपात की दृष्टि से विचार करेंगे तो लघु ज्ञातियों का पलड़ा वजन में झुकता दिखाई देगा | यह लघु इतिहास इसके प्रमाण में प्रस्तुत किया जा सकता है । इस ज्ञाति में श्रेष्ठिनेमड़ जैसा धनपति, दिवान जोधराज जैसा धर्मिष्ठ, प्राचार्य धर्मघोषसूरि जैसे महाप्रभावक युगप्रधान हो गये हैं। जिनसे साहित्य, तीर्थ, धर्मक्षेत्र सबही शोभा को प्राप्त हुए हैं।
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