Book Title: Pallival Jain Itihas
Author(s): Daulatsinh Lodha
Publisher: Nandlal Jain Pallival Bharatpur

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Page 209
________________ १८४ है। बीकानेर जैन लेख संग्रह, समय सुन्दरकृत कुसुमांजलि, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, समय सुन्दर ग्रन्थावली आदि ग्रन्थ नाहटा जी की वर्षों की शोध और लगन के परिचायक हैं । राजस्थानी काव्य " जसवन्त उद्योत " और हिन्दी काव्य " कायम रासो" ग्रन्थ का भी उन्होंने अपने विद्वान भतीजे श्रीभँवर लाल जी नाहटा के साथ संपादन किया है । प्रो० नरोत्तमदास स्वामी एम० ए० का मत है कि राजस्थानी भाषा के अज्ञात ग्रन्थों की खोज नाहटा जितनी शायद ही किसी ने की हो । हिन्दी में वीर गाथा काल, पृथ्वीराज रासो, विमलदेव रासो, खुमार रासो आदि की जो नवोन शोध नाहटा जी ने हिन्दी संसार को दी है उसके लिए हिन्दी साहित्य जगत् नाहटा जी का ऋणी रहेगा। शोध कार्य में भी नाहटा जी गहरी दृष्टि से काम लेते हैं । नाहटा जी का जीवन प्रत्यन्त सादगीपूर्ण एवं धार्मिक है । वह अभिमान, झूठ, कपट आदि से कोसों दूर रहते हैं। उन्होंने जैन सिद्धान्तों को अपने जीवन व्यवहार में गहराई से उतारा है । वह रात्रि में भोजन तो क्या पानी भी नहीं पीते हैं । कहीं एक दो मील चलना हो तो वह पैदल ही चलेंगे । प्रत्येक कार्य में वह मितव्ययिता करते हैं । भोग बिलास के लिए यह कभी खर्च नहीं करते। उन्हें ऐसा खर्च ना पसन्द है । वह प्राये हुए पत्रों का यथाशीघ्र उत्तर देते हैं । भारत के विद्वानों से पत्र व्यवहार द्वारा वह बराबर संपर्क बनाए रखते Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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