Book Title: Pallival Jain Itihas
Author(s): Daulatsinh Lodha
Publisher: Nandlal Jain Pallival Bharatpur

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Page 210
________________ १८५ है । वह समय के मूल्य को पहचानते हैं। इसलिए व्यर्थ बातों में कभी समय नहीं गवाँते । फिर भी - वह हँसमुख और मिलनसार हैं। ___ नाहटा जी साल में केवल दो महीने व्यापार का कार्य करते हैं । वाकी सारा समय साहित्य सेवा में लगाते हैं। उनका परिवारिक जीवन सुखी और संतोषपूर्ण है । इनका यह परिचय तो सूर्य को दीपक दिखाने जैसा है। इति Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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