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भारत के हिन्दी साहित्य जगत् में भी है। हिन्दी शोध जगत् के तो यह चमकते हुए नक्षत्र हैं। ___ नाहटाजी का जन्म बीकानेर के ओसवाल नाहटा कुल में विक्रमी संवत् १९६० में चैत्र बदी ४ को हुआ था।
साहित्यिक तीर्थस्थान नाहटाजो राजस्थानी भाषा और जैन साहित्य के चोटी के विद्वानों में माने जाते हैं। उनके पास अपना निजी अनुभव तो है ही, पर साथ में एक बड़ा पुस्तकालय भी है, जहाँ ३०,००० हस्त लिखित ग्रन्थ और इतने ही मुद्रित ग्रन्थों का विशाल संग्रहालय है । भारत के व्यक्तिगत संग्रहालयों में यह सबसे बड़ा है, इसे देखकर डा० वासुदेवशरण अग्रवाल के मुंह से निकल गया कियह साहित्यिक तीर्थ-स्थान हैं" अभय जैन ग्रन्थालय में सैकड़ों अमूल्य ग्रन्थों एवं पुरातत्व की पुस्तकों का संग्रह है। वहाँ भारत के एक छोर से दूसरे छोर तक के विद्वान आते हैं या वहाँ से ग्रन्थ मांगकर लाभ उठाते हैं । नाहटाजी भी मुक्त हस्त इस अमूल्य साहित्य निधि को निःस्वार्थ भाव से वितरित करते हैं पुस्तकालय की विपुल सामग्री का जितना अधिक उपयोग हो सके उतना ही उन्हें सन्तोष होता है। . '
अाजकल कई साहित्यिक अन्वेषक ऐसे मिलेंगे जो नाहटा जी से थीसिस लिखने के लिए विषय पूछते हैं। उनके लिए उपलब्ध साहित्य सामग्री की जानकारी एवं उनका मार्ग दर्शन
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