Book Title: Pallival Jain Itihas
Author(s): Daulatsinh Lodha
Publisher: Nandlal Jain Pallival Bharatpur

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Page 184
________________ पल्लीवालगच्छ पट्टावलि प्रथम चौबीस तीर्थकरों और ग्यारह गणधरों के नाम लिखकर आगे पाटानुक्रम इसी प्रकार लिखा है। (१) श्री स्वामी महावीर जो रै पाटि श्री सुधम्म (२) तिण पट्ट श्री जम्बूस्वामी (३) तत्प? श्री प्रभवस्वामी (४) श्री शय्यंभवसूरि (५) तत्पट्ट श्री जसोभद्रसूरि (६) तत्प: श्री संभूतविजय (७) तत्पट्ट श्री भद्रबाहु स्वामी (८) तत्पट्ट, तिणमहें भद्रबाहु री शाखान वधी, श्री स्थूलिभद्र (६) तत्पट्ट श्री सुहस्तिसूरि, २ काकंद्याकोटि सूरिमंत्र जाप्याँ चात् कोटिक गण । तिहारै पाटिसुप्रतिबंध हतियाँरै गुरूभाई सुतिणरा शिष्य दोय विज्जाहरी१, उच्चनागरी२ सुप्रतिबधपाटिल तिणरी शाखा २ तिरणारा नाम मझमिला १, वयरी २। (१०) वयरी रै पाटि श्री इन्द्रदिनसूरि पाटि (१) तत्पट्ट श्री आर्य दिन्नसूरि पाटि Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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