Book Title: Pallival Jain Itihas
Author(s): Daulatsinh Lodha
Publisher: Nandlal Jain Pallival Bharatpur

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Page 199
________________ १७४ आकर बसता तो प्रत्येक घर से एक मुद्रिका और एक ईट अर्पण कर दिया करते थे कि आने वाला सहज में ही लक्षाधिपति बन जाता और यह प्रथा उस समय केवल एक पाली वालों के अन्दर ही नहीं थी पर अन्य नगरों में भी थी जैसे चन्द्रावती और उपकेशपुर के उपकेशवंशी, प्राग्वट वंशी, अग्रहा के अगरवाल, डिडवाना के महेश्वरी आदि कई जातियों में थी कि वे अपने साधर्मी एवं जाति भाइयों को सहायता पहुँचा कर अपने बराबरी के बना लेते थे करीबन एक सदी पूर्व एक अंग्रेज इतिहास प्रेमी टाँड साहब ने मारवाड़ में पैदल भ्रमण करके पुरातत्व की शोध खोज का कार्य किया था। उनके साथ एक ज्ञानचन्द जी नाम के यति रहा करते थे उन्होंने भी इसका हाल लिखा है कि पाली के महाजन बहुत बड़ा उपकार करते थे । ___ इस रल्लेख से स्पष्ट पाया जाता कि मारवाड़ में पाली एक व्यापार का मथक और प्राचीन नगर था । यहाँ पर महाजन संघ एवं व्यापारियों कि बड़ी बस्ती थी। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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