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आकर बसता तो प्रत्येक घर से एक मुद्रिका और एक ईट अर्पण कर दिया करते थे कि आने वाला सहज में ही लक्षाधिपति बन जाता और यह प्रथा उस समय केवल एक पाली वालों के अन्दर ही नहीं थी पर अन्य नगरों में भी थी जैसे चन्द्रावती और उपकेशपुर के उपकेशवंशी, प्राग्वट वंशी, अग्रहा के अगरवाल, डिडवाना के महेश्वरी आदि कई जातियों में थी कि वे अपने साधर्मी एवं जाति भाइयों को सहायता पहुँचा कर अपने बराबरी के बना लेते थे करीबन एक सदी पूर्व एक अंग्रेज इतिहास प्रेमी टाँड साहब ने मारवाड़ में पैदल भ्रमण करके पुरातत्व की शोध खोज का कार्य किया था। उनके साथ एक ज्ञानचन्द जी नाम के यति रहा करते थे उन्होंने भी इसका हाल लिखा है कि पाली के महाजन बहुत बड़ा उपकार करते थे । ___ इस रल्लेख से स्पष्ट पाया जाता कि मारवाड़ में पाली एक व्यापार का मथक और प्राचीन नगर था । यहाँ पर महाजन संघ एवं व्यापारियों कि बड़ी बस्ती थी।
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