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लाला वशीधर जी का नाम तो विशेषतः उल्लेखनीय हैं । इस सच्चे जाति सेवक सज्जन ने ग्राम-ग्रामं भ्रमण करके अत्यन्त कठोर श्रम करके एक ही वर्ष में जनवरी सन् १९१६ से दिसम्बर १९१६ तक ही जन-गणना कार्य तूफानी वेग से सम्पन्न कर डाला । जन गणना के कठिन श्रम से ये इतने असक्त हो गये थे कि सन् १९१७ में ही इनका देह-त्याग हो गया। जन गणना का समस्त व्यय पेची निवासी लाला गोपीलाल जी ने सहर्ष उठाया था। प्रागरा निवासी ला० सूरजभानजी प्रेमी ने बड़े श्रम से जनगणना के कोष्टक तैयार किये थे । सन् १९२० में मा० कन्हैया लाल के द्वारा जन गणना का विवरण प्रकाशित किया गया समिति का जन-गणना का कार्य एक महत्व पूर्ण कार्य कहा जा सकता है। इससे ज्ञाति की समस्त स्थितियों का एक चित्र तैयार कर लिया गया और उसके आधार पर जिससे कई सुधार सम्भव और सहज हो सके।
लाला ज्ञानचद-खेरली सभा के सभापति चुने गये थे ! इन का गौत्र सलावदिया है । ये बड़े उत्साही एवं सुधारक विचारों के हैं ।
सेठ गोपीलाल जी ये पेची के निवासी थे। श्री महावीर जी का अधिवेशन इनके सभापतित्व में हुआ था।
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