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पल्लोवाल ज्ञातीय श्रे० जसद् और उसका
विशाल परिवार वि० की १५ वीं शताब्दी में पल्लीवाल ज्ञातीय श्रेष्ठि जसदू हो गया है। वह महा यशस्वी सौभाग्यशाली और परम सुखी था। उसको सुशीला, कर्तब्य परायण पतिव्रता स्त्री शोभना नामा शुभगुणों की खान ही थीं। इनके पांच पुत्र और तीन पुत्रियाँ हुई । पुत्र क्रमशः पूर्णचन्द्र, यशचन्द्र, आभड़, नाहड़ और जाल्हण थे और पुत्रियां शीलमती, सहजू और रत्नी नामा थीं। यह यशोभद्रसूरि के अनुरागों थे।
पूर्णचन्द्र के कल्हण, आल्हण, रत्ना और राजपाल नामा चार पुत्र थे । कल्हण का पुत्र अजय, पाल्हण का अरिसिंह और रत्ना का पुत्र सुगुणी, सुवर्णशालीं तिहुणपाल था।
· यशचन्द्र के जगदेव और वरदेव नामक दो पुत्र थे। आभड़ श्री मानतुगसूरि का परम भक्त था। उसके अभयश्री नामा स्त्री थी। अभयश्री की कुक्षी से पांच पाण्डवों के सदृश प्रसिद्ध पांच पुत्र पद्मसिंह, वीरचन्द, प्रासल, मूलदेव और देदल थे।
श्री माणिक्यचन्द्राचार्य विरचित पार्श्वनाथ चरित पुस्तक की प्रशस्ति से उक्त परिचय प्राप्त होता है। उक्त पुस्तक की प्रशस्ति अपूर्ण प्राप्त हुई है । उक्त पुस्तक को जसदू की सन्तान ने लिखा प्रथवा लिखवाया था।
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