________________
मूर्ति के निकलने को कथा इस प्रकार है:
जहाँ मन्दिर बना हुआ है उस स्थान के कुछ समीप ही एक चमार की गौ नित्य दूध झार कर आती थी। गौ से लगातार कई दिन दूध न मिलने पर कारण की शोध में चमार ने देखा कि उसकी गौ उक्त स्थान पर दूध झार रही है। चमार इसको शुभ मान कर हर्षित हुआ और घर आ गया। एक रात्रि को उसको स्वप्न हुआ कि-भगवान महावीर की प्रतिमा बनकर तैयार हो गयी है, इस को बाहर निकाल। चमार ने स्वप्न के आधार पर उक्त स्थान को खोदा और वहाँ से उक्त वीर प्रतिमा प्रकट हुई । चमार ने उसको निकाल कर भूमि शुद्ध करके वहीं विराजमान करदी। इस घटना के कुछ समय पश्चात् ही दीवान जोधराज ने उस प्रभावशाली प्रतिमा के दर्शन किये और मृत्यु दण्ड से बच जाने पर मन्दिर बनवाकर उसे संस्थापित करने की शपथ ली थी। उक्त चमार कुल का तीर्थ से अब तक भी कुछ सम्बन्ध चला पाता-बतलाया जाता है । चढ़ावा का कुछ अंश उक्त कुल को दिया जाता है।
ANA
.
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org