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१.६ रत्नों यर मार्मिक, तात्विक अनुभूतिपूर्ण रचनायें हैं। छहढाला के अतिरिक्त आपने अनेक मुक्तक रचनाओं का निर्माण किया है। उनमें से अधिकांश का संग्रह उक्त "दौलत विलास" नामक संग्रह पुस्तक में हो गया है। . दिल्ली में वि० सं० १९२३-२४ में आपने देह त्याग किया था ऐसा सुना जाता है कि अपनी मृत्यु दिवस के एक सप्ताह पूर्व आपने अपने शरीर त्याग का ठीक २ समय अपने परिवार को बतला दिया था और बतलाये हुए ठीक समय पर जो अगहन मास की अमावस्या का मध्यान्ह था आपने शरीर-त्याग दिया। एक विचित्र बात उल्लेखनीय साथ ही में यह हुई कि 'गोमटसार' का अध्ययन जो पार कई विगत वर्षों से करते पारहे थे वह पूर्ण हुप्रा । जिस दिन आपने अपना मृत्यु का समय भाषित किया उसी दिन से आप एक सन्यासी की भाँति रहने लगे। अहर्निश धर्म-ध्यान में रत रहते थे और नमस्कार महामंत्र का जाप-स्मरण करते हुए ही आपने देह-त्याग किया।
कविवर दौलतराम भारत के महान् आध्यात्मिक उच्च कोटि के कवियों में हो गये हैं। लगभग ७० वर्ष की वय में उन्होंने देह त्याग किया था । आप बचपन से ही कविता करने लग गये थे। पाठक स्वयं विचार सकते हैं कि ७० वर्ष के वय में, (जिस में वर्ष २० के पश्चात् भी लें तो भी ) आयु के ५० वर्ष जैसे दीर्घ काल में उन्होंने कितनी रचनायें की होंगी। - वि० सं० १९१० में आपने सम्मेतशिखर तीर्थ की यात्रा भी की थो। .. .
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