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घोघा-वि० सं० १५१० फा कृ० ३ शुक्रवार की पल्ली० मं० मण्डलीक पत्नी शाणी के पुत्र लाला द्वारा पत्नी रंगी तथा मुख्य कुटुम्ब सहित कारित एवं श्री अंचलगच्छीय श्री जय केसरिसूरि के उपदेश से प्रतिष्ठित श्री चन्द्रप्रभ धातुबिम्ब श्री जीरावला पार्श्वनाथ मंदिर में विराजमान है।"
हरसूली-वि० सं० १४४५ फा० कृ० १० रविवार की श्री हारीजग० पल्ली० श्रेष्ठि भूभा भार्या पाल्हणदेवी पूजू के पुत्र कन्नू, हापा द्वारा स्वमाता-पिता के श्रेयार्थ कारित एवं श्री शील भद्र सूरिद्वारा प्रतिष्ठित श्री महावीर धातुप्रतिमा पंचतीर्थी श्री पार्श्वनाथ जिनालय में विराजमान है।६।।
लाडोल-वि० सं० १३२६ चैत्र कृ० १२ शुक्रवार को पल्ली० श्रेष्ठि धनपाल द्वारा कारित एवं चित्रावालगच्छीय श्री शालिभद्र सूरि शिष्य श्री धर्मचन्दसूरि द्वारा प्रतिष्ठित श्री शान्तिनाथ एवं अजितनाथ धातुप्रतिमा एक जिनालय में विराजमान हैं। ७-८
राधनपुर-वि० सं० १३५५ बैशाख कृष्णा x की श्री हारीज गच्छीय पल्ली० श्रे० जइता के श्रेयार्थ उसके पुत्र द्वारा कारित एवं श्री सूरि द्वारा प्रतिष्ठित श्री चन्द्रप्रभ धातुम्बि एक जिनालय में विराजमान है। ___ गिरनारतीर्थ-वि० सं० १३५६ ज्येष्ठ शु० १५ शुक्रवार की पल्ली० श्रे० पासु के पुत्र शाह पदम पत्नी तेजला xxद्वारा कारित एवं कुलगुरु के उपदेश से प्रतिष्ठित श्री मुनिसुव्रतस्वामी धातु प्रतिमा सहित देवकुलिका पितामह श्रेयार्थ विद्यमान है।'
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