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श्री शत्रुंजय गिरनार - तीर्थों पर भी पल्लीवाल ज्ञातीय बन्धु नेमड़ और अन्य द्वारा जो-जो शिल्पकार्य करवाये गये हैं। उनका परिचय यथाप्रसंग इस लघु इतिहास में दिया जा चुका है । यहाँ पुनः पिष्टपेषण को उचित नहीं समझता ।
पल्लीवाल श्रेष्ठबन्धुत्रों द्वारा कुछ प्रतिष्ठित प्रतिमाओं का परिचय निम्नवत है :
श्री शत्रुञ्जय तीथं - वि० सं० १३८३ बेसाख कृ० ७ सोमवार को पल्लीवाल ज्ञातीय पदम की पत्नी कील्हरणदेवी के श्रेयार्थ पुत्र कीका द्वारा कारित श्री महावीर प्रतिमा श्री गौड़ी पार्श्वजिनालय में विराजमान है । "
प्रभास पतन - वि० सं० १३३६ बैशाख शु० (२) शनिश्चर की पल्लीवाल ज्ञातीय ठ० आसाढ़ ठ० श्रासापल द्वारा पत्नी जाल्ह (ए) के श्रेयार्थ एक जिन प्रतिमा श्री बावन जिनालय की चरण चौकी में विराजमान है।
इसी बावन जिनालय की चररण चौकी में द्वितीय प्रतिमा श्री पार्श्वनाथ की वि० सं० १३४० ज्येष्ठ कृ० १० शुक्रवार की प्रतिष्ठित जिसको पल्ली० वीरवल के भ्राता पूर्णसिंह ने पत्नी वय जल देवी पुत्र कुमरसिंह, कैलि (कालूसिंह) भा० ठ० स्वकल्याणार्थ करवाई, विराजमान है । इस प्रतिमा की प्रतिष्ठा कोरंटकीय किसी श्राचार्य साधु ने की।
१- ३. जैसलमेर नाहर लेखांक ६५७, १७६१, १७९२ ।
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