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१२८ अधिकतर व्यौपार रहा है और राज्य में भी पटवार व गिरदावर रहे हैं। यह ग्राम प्रसिद्ध क्षेत्र श्री महावीरजी से ३ मील के फासले पर है। इनके परिवार में श्री महावीर स्वामीजी की भक्ति अधिक चली आ रही है। वर्तमान में श्री नरायनलाल जी अपने पिता श्री सोनपालजी के बड़े भ्राता श्री शंकरलालजी के दत्तक पुत्र के रूप में विद्यमान हैं।
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