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पल्लीवाल ज्ञाति की धर्म क्षेत्र में सेवायें - जैन ज्ञाति की मुख्य सेवायें धर्म और साहित्य के क्षेत्र में भारत की इतर ज्ञातियों के समक्ष विशिष्ट रही हैं । कोई ज्ञाति राज करने में, कोई युद्ध करने में, कोई चारकर चलाने में, कोई पुरोहितपन में रही, परन्तु जैन ज्ञातियाँ मुख्यतः धर्म सेवा और साहित्य सेवा के क्षेत्रों में दत्तचित रहीं। व्यापार व्यवसाय, कृषि प्रादि धंधा करके अपने लाभ एवं बचत को उपरोक्त क्षेत्रों में व्यय करती रही । जैनों के समक्ष सात क्षेत्रों की सेवा करना उनका परम कर्तव्य रहता है। उनमें मुख्य क्षेत्र धर्म और ज्ञान हैं। इसी कत्तव्य परायणता का फल है कि जैन धर्म थोड़ी संख्या में अनुयायी रखता हुआ भी भारत में गौरव भरी स्पद्धी रखता है। जैन मन्दिर, जैन तीर्थ तथा अन्य जैन धर्म-स्थान भारत के किसी भी बड़ी से बड़ी संख्या में रखने वाले धर्म के प्रानुमाइयों के धर्म स्थानों में शिल्प, वैभव मूल्य स्थलवैशिष्ट्य में यत किंचित भी कम नहीं हैं तथा जैन ज्ञानभण्डार भी अपनी विविध विषयकता,प्रभाविकता, प्राचीनता, एतिहासिक एवं पुरातत्त्व विषयक सामग्री और धर्मग्रंथों की मौलिकता में भारत में ही नहीं, दुनिया के प्रत्येक जागरूक राष्ट के समक्ष अपने साहित्य की समृद्धता सिद्ध कर चुके हैं। धर्म और ज्ञान की ये सेवायें हमारे पुण्शाली पूर्वजों की एक मात्र धर्म निष्ठा
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