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डा० बेनीप्रसाद, एम० ए० पी० एच० डी०
अापका जन्म १६ फरवरी १८६५ में एक साधारण परिवार में हुआ था।
जीवन का अधिकांश भाग प्रयाग में व्यतीत हुआ । कुछ वर्ष कानपुर में भी रहना हुआ। पढ़ने में तीक्ष्ण बुद्धि होने से प्रत्येक कक्षा में प्रथम आते रहे और परितोषिक प्राप्त करते रहे।
इलाहाबाद विश्व विद्यालय से इतिहास में एम० ए० प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण किया, जब कि उस समय प्रथम श्रेणी इस विषय में बिरले ही छात्रों को मिलती थी। इनके प्रोफेसर डा० रशबुक बिलियम्ज ने इनकी भूरि-भूरि प्रशंसा की और कहा कि इतना
मेधावी छात्र उनको अपने जीवन काल में दूसरा नहीं मिला है। . एम० ए० के अध्ययन के साथ-साथ दो वर्ष इतिहास में ही रिसर्च स्कालर रहे और विश्व विद्यालय से छात्र वृत्ति पाते रहे। फिर इलाहाबाद विश्व विद्यालय में इतिहास के प्राध्यापक (लेक्चरार) नियुक्त हुए और शीघ्र ही वहाँ रीडर हो गये। ___ दो बार लन्दन गये और वहाँ शोध कार्य में उन्होंने पी०एच० डी० तथा डी० एच० सी० की उपाधियाँ प्राप्त की।
भारत पाकर शीघ्र ही इलाहाबाद विश्व विद्यालय में राजनीति के प्रोफेसर नियुक्त हो गये।
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