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आगरा के शिक्षणालयों में पढ़ने वाले भिन्नर प्रान्तों के पल्लीबाल विद्यार्थियों ने सन्१८६२ के ११ दिसम्बर को “पल्लीवाल धर्म-वर्धनो क्लब" नाम की सभा संस्थापित को और उसकी प्रथम वैठक बरारा में बुलाई। लगातार इसकी कई बैठकें, अधिवेशन करके अापने और अन्य ऐसे ही शिक्षित एवं कर्मठ समाज सेवियों ने समाज में क्रांति की लहर उत्पन्न कर दी। बैठकों और अधिवेशनों में भाग लेने के लिये दूर२ के प्रान्त व नगरों से पल्लीवाल प्रतिनिधि आने लगे। निदान वि०सं० १९७७ ज्येष्ठ कृ०७ को बरारा के अधिवेशन में पल्लीवाल जैन कान्फरेन्स की स्थापना की गई और आगामी वर्ष के लिये आप ही सभापति चुने गये। दूसरे ही वर्ष प्राप के सतत् प्रयास एवं नीति पूर्व प्रयत्नों से मुरेना के पल्लीवालों के साथ भोजन व कन्या व्यवहार होना तय हुआ और सन् १९३३ के फिरोजाबाद के सम्मेलन में छीपा पल्लीवालों को भी मिला लेने का प्रस्ताव स्वीकार किया गया। इस प्रकार समस्त पल्लीवाल ज्ञातीय में जो यह संगठन हुआ सचमुच उसके निर्माण में, अनुकूल वातावरण बनाने में आपका अदम्य उत्साह, उन्नत विचार, अथक श्रम बहुत अंशों में कारण भूत है। आपके समय में तो आपका समाज में भारी सम्मान रहा ही था परन्तु इतिहास के पृष्ठों भी में ज्ञातीय सुधारकों में आप का प्रथम स्थान रहेगा। .. आपने पल्लीवालज्ञाति इतिहास तैयार करने का भी विचार कियाथा,परन्तु कई एक सामाजिक सुधारों,व्यावसायिक झंझटों में
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