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के दर्शन करके यह प्रतिज्ञा की कि अगर मैं मृत्यु दण्ड से बच गया तो मन्दिर बनवा कर उक्त प्रतिमा को बड़ी धूम-धाम से प्रतिष्ठित करूगा । सुयोग एवं अहोभाग्य से दीवान जी पर तीन बार तोप चलाई गई और तीनों बार सौभाग्य से दीवान जी बाल २ बच गये । तब उन्होंने उक्त प्रतिज्ञा के पालन में चाँदन गांव में जिनालय का निर्माण करवाया और उसमें उपरोक्त महावीर जी की प्रतिमा को प्रतिष्ठित करवा कर संस्थापित किया।
श्री महावीर जिनालय, चाँदन गाँव, तहसील हिंडौन, राज्य जयपुर में भरतपुर-माधोपुर के बीच स्टेशन महावीर जी जो रतलाम-कोटा-मथुरा रेल्वे लाईन से तीन मोल के अन्तर पर आ गया है । करौली भी वहां से अधिक दूरी पर नहीं है । हिंडौन और करौली में और आस पास गांवों में जैन और उस पर भी पल्लीवाल ज्ञातीय घर अच्छी संख्या में आज भी विद्यमान हैं । इस तीर्थं में प्रति वर्ष बैशाख बदी पड़वा और चैत्री पूर्णिमा
को भारी मेला लगता है और श्वेताम्बरी, दिगम्बरी दोनों अच्छी 'संख्या में उपस्थित होते हैं । वैसे प्रसिद्ध तीर्थ होने के कारण दूर २ से जैनी प्रतिदिन आते ही रहते हैं। करीब ४० वर्षों से तीर्थ श्वेताम्बर है या दिगम्बर है-इस प्रश्न को लेकर दोनों पक्षों में मुकद्दमा बाजी चल रही है । परिणाम जो कुछ हो। इस तीर्थ के दर्शन करने के लिए जैनेतर भी बड़े हर्ष और आनन्द से आते हैं। मोना, गूजर आदि सर्व ज्ञातियां भी उक्त प्रतिमा को
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