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पल्लीवाल ज्ञातीय दीवान बुद्धसिंह। श्रेष्ठि मोतीराम बुद्धसिंह दोनों बड़े प्रसिद्ध व्यक्ति हुए हैं। महाराजा मानिकपाल के समय बुद्धसिंह चार सहस्त्र रुपयों के वार्षिक वेतन पर राज्य के दीवान बने और एक सहस्त्र रुपयों के वार्षिक वेतन पर मोतीराम नौकर हुए। दोनों की नियुक्ति एक ही साथ वि०सं० १८३२ आषाढ़ कृष्णा एकम को हुई थी। दोबान बुद्धसिंह को दोवान को मिलने वाली समस्त सुविधायें जैसे बैठने के लिये पालकी, सेवा में रहने के लिये चाकर, मुसद्दी, घुड़सवार और पैदल सिपाही आदि मिले और तालुका सबलगढ़ के गाँव मौजा खेरला प्राय रु० २०००) और मौजा भांकी रु० १४००) वार्षिक वेतन के रूप में दिये गये । वि० सं० १८३३ ज्येष्ठ कृ०१ को महाराजा मानिकपाल ने दीवान बुद्धसिंह को इनके परिवार के व्यय निमित्त मौजा बल्लूपुरा और प्रदान किया । वि० सं० १८३४ आषाढ़ शु० ७ को दीवान मोतीराम बुद्धसिंह को महाराज सवाई पृथ्वीसिंह ने जयपुर में हवेली बनाने की और व्यापार धंधा करने की आज्ञा प्रदान की तथा इन पर लगने वाले कई कर जैसे ___ रुदावल में इनके विशाल भवन आज भी विद्यमान हैं और फतेहपुर के ठाकुर का इनकी जायदाद पर अधिकार है ।
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