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पल्लीवाल ज्ञातीय श्रेष्ठि लाखण
और उसका परिवार विक्रमीय तेरहवीं शताब्दी के मध्य में स्तंभनपुर में पल्लीवालज्ञातिय श्रेष्ठि साढ़देव रहता था। उसकी स्त्री साढू महा शीलवती स्त्री थी। साढ़देव अत्यन्त विनयी, जिनेश्वरभक्त और अतिकीर्तिशाली था। साढ़देव के देसल नाम का लघु भ्राता था जिसके पनी नाम की विवेकी पत्नी थी। देसल भी अपने ज्येष्ठ भ्राता को भांति सत्यशीलवान् था।
साढ़देव के जाजाक, जसपाल नामक दो पुत्र और जानुका नामा एक पुत्री थी । जाजाक परम गुणी, निर्मल कीर्तिवंत एवं जिनेश्वर देव का अनन्य भक्त था । वैसी ही शील-गुणगर्मा धर्म परायणा, नित्यसुकर्मरता दानपुण्य तत्परा पतिपरायणा उसकी जयतु नामा स्त्री थी । इसके लाखण नामक एक ही पुत्र था जो अपने माता-पिता के सदृश ही पुण्यशाली, सुनीतिवान्, कुशल, क्षमाशील और महान् यशस्वी था ।
जसपाल भी बुद्धिमान था। दानशीला संतुका नामा उसकी पत्नी थी। रत्नसिंह और धनसिंह नाम के इनके दो पुत्र थे।
जानुका जिसको जैन पुस्तक प्रशस्ति संग्रह में 'नाउका' करके
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